दुर्गा पूजा में शामिल होने के लिए ये भारतीय क्रिकेटर बन गया था 'सरदारजी', पहचानिए कौन!

दुर्गा पूजा विसर्जन में शामिल होने के लिए इस भारतीय क्रिकेटर ने धरा था सरदार का रूप

By अभिषेक पाण्डेय | Updated: February 2, 2018 15:17 IST

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टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने अपने जीवन से जुड़े एक मजेदार किस्से का खुलासा करते बताया कि कैसे एक बार दुर्गा पूजा विसर्जन देखने के लिए सरदार बनने की उनकी योजना फ्लॉप हो गई है।  अपनी किताब 'अ सेंचुरी इज नॉट एनफ' की लॉन्चिंग से पहले गांगुली ने फैंस को इस किताब की एक झलक दी है। 

गांगुली ने ट्विटर पर एक मजेदार घटना का जिक्र करते हुए लिखा है कि एक बार उन्होंने हरभजन सिंह की तरह दिखने के लिए सरदारजी का लुक अपनाने की कोशिश की थी लेकिन उनका दांव उल्टा पड़ गया था और वह पहचान लिए गए थे।

अब बंगाल क्रिकेट असोसिएशन (सीएबी) के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने बताया कि बाकी बंगालियों की तरह ही दुर्गा पूजा उनका भी पसंदीदा त्यौहार है। इस अवसर पर एक बार उन्होंने दुर्गा पूजा के दौरान मूर्ति विसर्जन में हिस्सा लेने के लिए सरदार लुक अपनाया था ताकि फैंस उन्हें पहचान न सकें।

गांगुली ने बताया है, 'मैं पूजा से इस कदर जुड़ा हुआ हूं कि हमेशा देवी की प्रतिमा की विदाई में जरूर शामिल होता हूं। बंगाली में इसे 'बिसर्जन' कहा जाता है। इस दौरान देवी की प्रतिमा को गंगा में विसर्जित किया जाता है। ये दृश्य लाजवाब होता है, उत्साह चरम पर होता है, मां दुर्गा को जाते हुए देखकर भीड़ का खुशी और गम से भरा होना, ये सच में यादगार है। नदीं के पास के क्षेत्र में इतनी भीड़ होती है कि एक बार मैंने अपने कप्तानी के दिनों में मैंने हरभजन के भेस धारण करने का फैसला किया, सरदार जी का भेष।'  

गांगुली ने कहा, 'मेरी पत्नी डोना ने एक मेक-अप आर्टिस्ट को बुलाया जो मुझे बंगाली से एकदम सिख जैसा दिखने वाला बना दे। मेरे सभी भाई-बहनों ने मेरा मजाक उड़ाया और कहा कि मैं पहचान लिया जाऊंगा। लेकिन मैंने पूरी कोशिश की और इस चुनौती को स्वीकार कर लिया।'

लेकिन अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद गांगुली को एक पुलिसवाले ने पहचान लिया। गांगुली ने कहा, 'वे सही थे। मुझे पुलिस ने ट्रक पर जाने की इजाजत नहीं दी और मेरी बेटी साना के साथ मुझे पीछे-पीछे कार में जाना पड़ा। कार जैसे ही बाबूघाट पहुंची, पुलिस इंस्पेक्टर ने शीशे से अंदर झांका, ध्यान से मेरी तरफ देखा और मुझे पहचानते हुए मुस्कुराया। मैं बहुत शर्मिंदा हुआ लेकिन उससे इस राज को अपने तक रखने को कहा। ये लुक बदलना अच्छा रहा। नदी के किनारे का विसर्जन दृश्य अवर्णनीय है। इसे समझने के लिए आपको इसे देखना होगा। आखिरकार दुर्गा मां साल में एक बार ही आती हैं।' 

टॅग्स :सौरव गांगुली

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