नयी दिल्ली, 16 नवंबर थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 1.48 प्रतिशत पर पहुंच गई है। यह इसका आठ महीने का उच्चस्तर है। विनिर्मित उत्पाद महंगे होने से थोक मुद्रास्फीति बढ़ी है।
सितंबर में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 1.32 प्रतिशत पर और पिछले साल अक्टूबर में शून्य पर थी।
फरवरी के बाद यह थोक मुद्रास्फीति का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। फरवरी में यह 2.26 प्रतिशत पर थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में खाद्य वस्तुओं के दाम घटे, जबकि इस दौरान विनिर्मित उत्पाद महंगे हुए। अक्टूबर में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 6.37 प्रतिशत रह गई। सितंबर में यह 8.17 प्रतिशत के स्तर पर थी।
समीक्षाधीन महीने में सब्जियों और आलू के दाम सालाना आधार पर क्रमश: 25.23 प्रतिशत और 107.70 प्रतिशत बढ़ गए। वहीं गैर-खाद्य वस्तुओं के दाम 2.85 प्रतिशत और खनिजों के दाम 9.11 प्रतिशत बढ़ गए।
अक्टूबर में विनिर्मित उत्पाद 2.12 प्रतिशत महंगे हुए। सितंबर में इनके दाम 1.61 प्रतिशत बढ़े थे।
इस दौरान ईंधन और बिजली के दाम 10.95 प्रतिशत घट गए।
पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर में 7.61 प्रतिशत रही है।
इक्रा की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि मुख्य मुद्रास्फीति अक्टूबर में 1.7 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो सितंबर में एक प्रतिशत थी। नायर ने कहा, ‘‘हमारे विचार में अगले कुछ माह तक मासिक आधार पर मुख्य मुद्रास्फीति में अर्थव्यवस्था के पुनरोद्धार के साथ बढ़त जारी रहेगी। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) कम से कम दिसंबर, 2020 में ब्याज दरों को यथावत रखेगी। ’’
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री डी के पंत ने कहा कि मुख्य मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी से पता चलता है कि कोविड-19 की वजह से लागू लॉकडाउन को हटाए जाने के बाद मांग की स्थिति में सुधार आ रहा है। पंत ने कहा, ‘‘हालांकि, इसे सामान्य सुधार कहना जल्दबाजी होगा। इस मांग का एक बड़ा हिस्सा त्योहारों से संबंधित मांग का है।’’
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक 2-4 दिसंबर तक होगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर अपनी रिपोर्ट में रिजर्व बैंक भी मुद्रास्फीति को लेकर चिंता जता चुका है। केंद्रीय बैंक का मानना है कि इससे अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
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