विनिर्मित वस्तुओं के महंगे होने से जनवरी में थोक मुद्रास्फीति बढ़कर 2.03 प्रतिशत

By भाषा | Updated: February 15, 2021 17:01 IST2021-02-15T17:01:21+5:302021-02-15T17:01:21+5:30

Wholesale inflation rises 2.03 percent in January as manufactured items become costlier | विनिर्मित वस्तुओं के महंगे होने से जनवरी में थोक मुद्रास्फीति बढ़कर 2.03 प्रतिशत

विनिर्मित वस्तुओं के महंगे होने से जनवरी में थोक मुद्रास्फीति बढ़कर 2.03 प्रतिशत

नयी दिल्ली, 15 फरवरी खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी के बाद भी थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति जनवरी 2021 में बढ़कर 2.03 प्रतिशत हो गयी। इसका मुख्य कारण विनिर्मित वस्तुओं के दाम में तेजी आना है। ताजे आंकड़ों में इसकी जानकारी मिली।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी आयी। हालांकि विनिर्मित गैर-खाद्य वस्तुओं और ईंधन एवं बिजली वर्ग का मूल्य सूचकांक बढने से मुद्रास्फीति बढ़ी । विशेषज्ञ अगले कुछ महीने में कीमत वृद्धि की दर के रफ्तार पकड़ने का अनुमान जाहिर कर रहे हैं।

थोक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति इससे पहले दिसंबर 2020 में 1.22 प्रतिशत और जनवरी 2020 में 3.52 प्रतिशत थी।

आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों की थोक मुद्रास्फीति जनवरी 2021 में शून्य से 2.8 प्रतिशत नीचे रही। यह एक महीने पहले यानी दिसंबर 2020 में शून्य से 1.11 प्रतिशत नीचे थी।

इस दौरान सब्जियों की थोक मुद्रास्फीति शून्य से 20.82 प्रतिशत नीचे रहे पर आलू की थोक मुद्रास्फीति इस दौरान 22.04 प्रतिशत रही।

ईंधन एवं बिजली की मुद्रास्फीति शून्य से 4.78 प्रतिशत नीचे रही तबकि दिसंबर में इस वर्ग में मुद्रास्फीति शून्य से 8.72 प्रतिशत नीचे थी।

गैर-खाद्य श्रेणी में मुद्रास्फीति इस दौरान 4.16 प्रतिशत रही। मुख्य मुद्रास्फीति (खाद्य और मूल्य प्रशासन के तहत आने वाली वस्तुओं को छोड़ कर विनिमित चीजों के थोक मूल्य पर आधारित महंगाई दर) जनवरी 2021 में 27 महीने के उच्च स्तर 5.1 प्रतिशत पर रही।

इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि मुख्य मुद्रास्फीति में तेज वृद्धि के असर को प्राथमिक खाद्य सामग्रियों के दामों में तेज गिरावट ने संतुलित कर दिया।

इक्रा ने कहा कि बिजली की बढ़ती मांग तथा अधिक होती कीमतों के चलते अप्रैल-जून तिमाही में मुख्य मुद्रास्फीति सात से साढ़े सात प्रतिशत तक पहुंच सकती है।

नायर ने कहा, ‘‘अगले कुछ महीने में मुख्य थोक मुद्रास्फीति में तेज उछाल आ सकता है। हम अब वित्त वर्ष 2021-22 में औसत थोक मुद्रास्फीति पांच से साढ़े पांच प्रतिशत रहने की उम्मीद कर रहे हैं, बशर्ते कि उपलब्ध टीके कोरोना वायरस के नये स्वरूपों के खिलाफ निष्प्रभावी साबित न हो जायें और इससे जिंसों की कीमतें, उपभोक्ताओं का भरोसा व कारोबारी धारणा कमजोर न हो जाये।’’

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पांच फरवरी को मौद्रिक नीति घोषणा में ब्याज दरों को लगातार चौथी बैठक में अपरिवर्तित रखा। रिजर्व बैंक ने घोषणा करते हुए कहा था कि निकट-भविष्य में मुद्रास्फीति का परिदृश्य अनुकूल हुआ है।

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