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योगी सरकार निर्यात बढ़ाने के लिए निर्यातकों पर मेहरबान?, विदेशी मेलों में शामिल होने पर अब मिलेंगे 4.5 लाख रुपए 

By राजेंद्र कुमार | Updated: April 21, 2025 18:51 IST

निर्यात में यूपी की हिस्सेदारी 7.5 करने के लिए लाई जाएगी नई निर्यात नीति। यूपी के कई जिलों में मल्टीनेशनल कंपनियों को फैक्ट्री लगाने के लिए दी गई जमीन 

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ठळक मुद्देनिर्यातक इकाई के लिए सहायता की राशि 16 लाख रुपए से बढ़ाकर 25 लाख रुपए सालाना की जाएगी.कारोबार में वृद्धि के आधार पर निर्यातकों को पुरस्कृत करने की योजना भी तैयार की गई है. प्रदेश से हर साल डेढ़ लाख करोड़ रुपए का निर्यात हो रहा है.

लखनऊः दुनिया भर में अमेरिका के राष्ट्रपति के टैरिफ वार के चलते मचे घमासान के बीच योगी सरकार निर्यात के मामले में पूरे देश में यूपी की हिस्सेदारी 7.5 प्रतिशत ले जाने की तैयारी में है. इसके लिए योगी सरकार पांच साल के लिए नई निर्यात नीति लाने जा रही है. इस नीति के जरिए निर्यात को पांच साल में तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा पहुंचाने का लक्ष्य है. यह लक्ष्य हासिल करने के लिए देश में समुद्र तटीय वाले राज्यों के कारोबारियों के बराबर की सहूलियत यूपी के निर्यातकों को देने की तैयारी है. राज्य के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी के अनुसार, यूपी में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विदेशी मेलों में प्रतिभाग करने पर अब से निर्यातकों को 4.5 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी.

यूपी में निर्यात के आंकड़े: 

वित्तीय वर्ष     : निर्यात मूल्य करोड़ रुपए 2020-21 : 1,21,139.942021-22 : 1,56,897.00 2022-23 : 1,74,037.012023-24 : 1,70,340.952024-25     :  87,151.09  : (सितंबर 2024 तक)

पहले विदेशी मेलों में प्रतिभाग करने पर तीन लाख रुपए दिए जाते थे. इसके साथ ही निर्यात कारोबार में वृद्धि के आधार पर निर्यातकों को पुरस्कृत करने की योजना भी तैयार की गई है. इस योजना के तहत हर निर्यातक इकाई के लिए सहायता की राशि 16 लाख रुपए से बढ़ाकर 25 लाख रुपए सालाना की जाएगी.

नई निर्यात नीति तैयार

उत्तर प्रदेश में बने उत्पादों को विदेशी बाजार में बिक्री को बढ़ाने के लिए योगी सरकार का प्रमुख फोकस निर्माण और सेवा क्षेत्र पर है. औद्योगिक विकास मंत्री के अनुसार, बीते चार वर्षों से निर्यात के क्षेत्र में यूपी लगातार आगे बढ़ रहा है. प्रदेश से हर साल डेढ़ लाख करोड़ रुपए का निर्यात हो रहा है.

इसे बढ़ाने के लिए अब एमएसएमई सेक्टर की ग्रोथ बढ़ाने, कारोबारियों के लिए ईज आफ डूंइंग बिजनेस को बढ़ावा देने का फैसला किया गया है. इसके साथ ही प्रदेश के प्रमुख निर्यातकों को विशेषज्ञों के पैनल में शामिल किया जाएगा, ताकि प्रदेश से किस माल का निर्यात किस तरह से तथा किस देश को किया जाए.

इसके बारे में योजना के तहत कार्य किया जा सके. इसके लिए नई निर्यात नीति तैयार की जा रही क्यों वर्तमान मौजूदा निर्यात नीति 31 मार्च 2025 को खत्म हो गई है. यहीं वजह है कि अब मार्च 2030 तक के लिए नई निर्यात नीति बनाई तैयार की गई है. इन नई नीति में मौजूदा समय में निर्यात नई चुनौतियों और आवश्यकताओं को देखते हुए निर्यात के लक्ष्यों को नए सिरे से तय किया गया है.

यूपी के निर्यात आंकड़े

औद्योगिक विकास मंत्री के मुताबिक अभी देश में यूपी की निर्यात की हिस्सेदारी 5.8% है. इस हिस्सेदारी में इजाफा करने के लिए बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों को यूपी के अलीगढ़, उन्नाव व प्रयागराज- चित्रकूट में स्पेशल इकनॉमिक जोन में 80 हजार एकड़ जमीन उपलब्ध कराई गई है. इन जिलों में बड़ी कंपनियां इन प्लग एंड प्ले के साथ अपने उद्योग लगाएंगी.

इसी के साथ कई निर्यात कंपनियों को सूबे बुंदेलखंड क्षेत्र में भी जमीन उपलब्ध कराई जा रही हैं. इसके अलावा यूपी में निर्यात प्रोत्साहन के लिए रा मेटेरियल बैंकों का विस्तार करने का प्रयास हो रहा है. ई- कॉमर्स इकोसिस्टम को बढ़ावा दिया जा रहा है और जिला उद्योग केंद्रों को निवेश डिस्ट्रिक्ट में तब्दील किया जा रहा है.

यूपी से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नए इलेक्ट्रिक मशीनरी, मांस निर्यात, कपड़े, जूते, रत्न व आभूषण, इस्पात, वाहन, फर्नीचर ओडीओपी एल्यूमीनियम, आर्गेनिक, प्लास्टिक, अनाज निर्यात को बढ़ावा देने के प्रयास तेज किए जा रहे हैं. औद्योगिक विकास मंत्री के अनुसार, वर्ष 2020-21 में 1,21,139.94 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ था जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर  1,70,340.95 करोड़ रुपए हो गया.

अब इसे बढ़ाने का फैसला किया गया है. इसके लिए निर्यातकों को छूटे देने के साथ ही निर्यात किए जाने वाले उत्पादों की गुणवत्ता को बेहतर किया जा रहा है. इसके लिए सरकार हर निर्यातक इकाई को सहायता की राशि के रूप में प्रदान की जाने वाली राशि को 16 लाख रुपए से बढ़ाकर 25 लाख रुपए सालाना करेगी.

निर्यातकों को प्रमुख पत्तनों तक माल परिवहन के लिए हर साल 30 लाख रुपए तक का प्रोत्साहन दिए जाने पर विचार किया जा रहा है. इसके अलावा विमान लोडिंग के लिए प्रत्येक इकाई को हर साल 10 लाख रुपए तक का अनुदान भी दिया जाएगा. यहीं नहीं निवेशकों को पूंजी अनुदान के रूप में 10 करोड़ रुपए तक प्रदान दिए जाने पर जल्द फैसला लिया जाएगा. सरकार के इन फैसलों से सूबे से निर्यात बढ़ेगा औद्योगिक विकास मंत्री  को यह भरोसा है. 

टॅग्स :उत्तर प्रदेशयोगी आदित्यनाथलखनऊBJP
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