उ.प्र. सरकार किसानों को गन्ना भुगतान में देरी करने वाली चार चीनी मिल समूहों पर है कड़ी नजर

By भाषा | Updated: June 17, 2021 22:47 IST2021-06-17T22:47:46+5:302021-06-17T22:47:46+5:30

UP Government is keeping a close watch on four sugar mill groups delaying cane payment to farmers | उ.प्र. सरकार किसानों को गन्ना भुगतान में देरी करने वाली चार चीनी मिल समूहों पर है कड़ी नजर

उ.प्र. सरकार किसानों को गन्ना भुगतान में देरी करने वाली चार चीनी मिल समूहों पर है कड़ी नजर

नयी दिल्ली, 17 जून उत्तर प्रदेश सरकार चार चीनी मिल समूहों - बजाज हिंदुस्तान, मोदी, सिंभावली और यदुज पर कड़ी नजर रखे हुए है, जो किसानों के गन्ना बकाये का भुगतान करने के मामले में पिछड़ रहे हैं। राज्य के चीनी मंत्री सुरेश राणा ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि राज्य में चालू चीनी सत्र 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी मिलों द्वारा 10,000 करोड़ रुपये से कम की गन्ना बकाया राशि चुकाया जानी बाकी है, जिनमें से अधिकांश बकाया इन चीनी मिल कंपनियों का ही है।

चीनी मिलों द्वारा किसानों को समय पर गन्ना बकाये का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए भाजपा नीत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कई उपाय किए गए हैं। इसके परिणामस्वरूप, पिछले तीन सत्रों से चले आ रहे लगभग 1,37,518 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान किसानों को किया गया।

एक आभासी मीडिया वार्ता में, उत्तर प्रदेश के चीनी और गन्ना विकास मंत्री राणा ने कहा, ‘‘उ.प्र. में लगभग 90 मिलों ने किसानों को गन्ना मूल्य का 90 प्रतिशत भाग का भुगतान किया है। महामारी के दौरान किसानों को 90 प्रतिशत भुगतान करना एक बड़ी बात है।’’

उन्होंने कहा कि हालांकि, बजाज हिंदुस्तान, सिंभावली और मोदी मिल सहित चार ऐसे समूह हैं, जो गन्ना भुगतान में देरी कर रहे हैं, जिस पर सरकार कड़ी नजर रखे हुए है।

राणा ने कहा, ‘‘हमने इन मिल समूहों को वसूली प्रमाण पत्र जारी किए हैं। सीएम के निर्देश पर, हम इन समूहों पर कड़ी नजर रख हुये हैं, चाहे वह मोदी हों, सिभावली और बजाज हिंदुस्तान हों। हम उनके खिलाफ नियमित कार्रवाई कर रहे हैं।’’

राज्य सरकार के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 120 चीनी मिलें हैं, जिनमें से 21 मिलें इन चार चीनी समूहों की हैं, जो गन्ना बकाया चुकाने में पिछड़ी हुई हैं।

राज्य में समय पर गन्ना भुगतान सुनिश्चित करने के लिए किए गए उपायों पर प्रकाश डालते हुए, मंत्री ने कहा कि योगी आदित्यनाथ-सरकार के सत्ता में आने के तुरंत बाद, राज्य सरकार ने मिलों के लिए एक एस्क्रो खाता खोलना अनिवार्य कर दिया, जिसके तहत प्राथमिक और दोयम गन्ना उत्पादों की बिक्री से प्राप्त धनराशि का 85 प्रतिशत किसानों को गन्ना भुगतान करने के लिए जमा करने को कहा गया।

गन्ना आयुक्त संजय आर भूसरेड्डी ने पीटीआई-भाषा को अलग से बताया कि पहले चीनी मिलें किसी अन्य कार्य के लिए धन का इस्तेमाल करती थीं। लेकिन एस्क्रो खाता खुलवाने के बाद जमा किए गए पैसे का इस्तेमाल सीधे किसानों को गन्ना मूल्य के भुगतान के लिए किया जाने लगा।

अधिकारी ने कहा, ‘‘राज्य सरकार इन चार समूहों को समय पर भुगतान करने के लिए राजी कर रही है। हम उनसे मौजूदा सत्र के गन्ना बकाये का कम से कम 50 प्रतिशत भुगतान करने को कह रहे हैं।’’

देश के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन भी पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा है।

मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि राज्य में कोई भी चीनी मिल बंद न हो और न ही पिछली सरकार की तरह बेची जाए। बल्कि सरकार ने 11 चीनी मिलों का उन्नयन किया और गोरखपुर, बस्ती और बागपत में तीन नई मिलें खोली हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य में नई भट्टियां (डिस्टलरी) भी खोली गईं और इसके परिणामस्वरूप, 2017-18 से इस साल जनवरी तक 54 डिस्टिलरी से एथनॉल का उत्पादन बढ़कर 280 करोड़ लीटर के अब तक के सर्वोच्च स्तर तक पहुंच गया।

राज्य सरकार ने 25 साल में पहली बार 267 नई खांडसारी इकाइयों की स्थापना के लिए लाइसेंस भी जारी किए हैं. इनमें से 176 इकाइयां चालू हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि इन इकाइयों में 388 करोड़ रुपये के निवेश के साथ करीब 20 हजार लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

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