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Union Budget 2025: मध्यम वर्ग को बड़ी राहत, 12 लाख रुपये की सालाना कमाई में कोई टैक्स नहीं

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 1, 2025 13:10 IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई आयकर नहीं देना होगा। उन्होंने कहा, यह मध्यम वर्ग अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा।

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ठळक मुद्देनिर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई आयकर नहीं देना होगावित्त मंत्री ने कहा, मध्यम वर्ग अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता हैसीतारमण ने कहा कि इन सबसे "मध्यम वर्ग पर कर का बोझ काफी हद तक कम हो जाएगा"

Union Budget 2025: केंद्रीय वित्तमंत्री ने इनकम टैक्स को लेकर नए रिजीम की घोषणा कर दी है। जिसमें मध्यम वर्ग को बड़ी राहत दी गई है। नए टैक्स रिजीम में 12 लाख रुपये की सालाना कमाई में कोई टैक्स नहीं देना होगा। निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई आयकर नहीं देना होगा। उन्होंने कहा, "मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई आयकर नहीं लगेगा।" अपने बजटीय भाषण में यह बड़ी घोषणा करते हुए वित्तमंत्री ने कहा, "मध्यम वर्ग अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है। उनके योगदान को मान्यता देते हुए हमने समय-समय पर कर का बोझ कम किया है। मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई आयकर नहीं लगेगा।"

मानक कटौती सहित 12.75 लाख रुपये तक। सीतारमण ने कर स्लैब में संशोधन की भी घोषणा की (केवल नई व्यवस्था के लिए लागू)। संशोधित स्लैब के तहत, 0 से 4 लाख रुपये के बीच शून्य प्रतिशत, 4 से 8 लाख रुपये के बीच की आय पर 5 फीसद, 8 से 12 लाख रुपये के बीच की आय पर कर 10 प्रतिशत होगा। 12 लाख रुपये से 16 लाख रुपये के बीच यह 15 प्रतिशत होगा। 16 लाख रुपये से 20 लाख रुपये के बीच यह 20 प्रतिशत होगा। 20 लाख रुपये से 25 लाख रुपये के बीच यह 25 प्रतिशत होगा। 25 लाख रुपये से ऊपर और 25 लाख रुपये तक की आय पर यह 30 प्रतिशत होगा। 

0-4 लाख - 0 फीसदी

4-8 लाख - 5 फीसदी

8 - 12 लाख - 10 फीसदी

12-16 लाख- 15 फीसदी

16 -20 लाख- 20 फीसदी

20 -25 लाख - 25 फीसदी

24 लाख - 30 प्रतिशत

यहां 12 लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं को कोई कर नहीं देना होगा, क्योंकि वे आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 87ए के तहत कर छूट का लाभ उठा सकेंगे।

पुरानी कर व्यवस्था इस प्रकार की थी 

पुरानी व्यवस्था में 3 लाख रुपये तक की आय वाले नागरिकों को कोई कर नहीं देना पड़ता है। इसके अलावा, 7 लाख रुपये से कम आय वाले करदाताओं को 5 प्रतिशत का भुगतान करना पड़ता है, क्योंकि आयकर अधिनियम के तहत धारा 87ए के तहत छूट उपलब्ध है, इसलिए 7 लाख रुपये तक की आय वाले नागरिकों को कर का भुगतान नहीं करना पड़ता। 7 लाख से 10 लाख रुपये तक की आय पर 10 प्रतिशत, 10 लाख से 12 लाख रुपये तक की आय पर 15 प्रतिशत, 12 लाख से 15 लाख रुपये तक की आय पर 20 प्रतिशत तथा 15 लाख रुपये से अधिक आय पर 30 प्रतिशत कर देना पड़ता है।

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