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तुर्की और अजरबैजान पर एक्शन की तैयारी, संगमरमर-यात्रा को बैन करो, पाकिस्तान का खुलकर किया था समर्थन

By सतीश कुमार सिंह | Updated: May 14, 2025 16:18 IST

Turkey and Azerbaijan BAN: राजस्थान के उदयपुर के संगमरमर व्यापारियों ने केंद्र सरकार से तुर्किये से आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

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ठळक मुद्देCAIT ने पहले ही चीनी उत्पादों के बहिष्कार के लिए एक सफल अभियान चलाया है। अकेले भारतीय पर्यटकों ने लगभग $291.6 मिलियन खर्च किए। तुर्किये में भारत से 300,000 सहित लगभग 62.2 मिलियन विदेशी पर्यटकों पहुंचे।

Turkey and Azerbaijan BAN: पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के लिए तुर्किये के ड्रोनों का इस्तेमाल किया था। यह जानकर आश्चर्य होता है कि चीन के बाद पाकिस्तान को हथियार आपूर्ति करने वाले दूसरे सबसे बड़े देश तुर्किए ने पाकिस्तान की नौसेना के आधुनिकीकरण और उसकी हवाई युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस बीच कई संगठन ने केंद्र सरकार से अपील की है कि तुर्की और अजरबैजान पर प्रतिबंध लगाने की सही समय है। भारत के खिलाफ इस्तेमाल किए गए ड्रोनों की उत्पत्ति के बारे में खुलासे के बाद राष्ट्रीय भावना से प्रेरित होकर देश की संगमरमर राजधानी माने जाने वाले राजस्थान के उदयपुर के संगमरमर व्यापारियों ने केंद्र सरकार से तुर्किये से आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने भारतीय व्यापारियों और नागरिकों से तुर्किये और अज़रबैजान की यात्रा का बहिष्कार करने का आह्वान किया है। यह कदम भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव के दौरान पाकिस्तान को समर्थन देने वाले देशों के विरोध में उठाया गया है। CAIT ने पहले ही चीनी उत्पादों के बहिष्कार के लिए एक सफल अभियान चलाया है।

CAIT के महासचिव और चांदनी चौक से सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि यात्रा बहिष्कार तुर्किये और अज़रबैजान की अर्थव्यवस्थाओं, विशेष रूप से पर्यटन क्षेत्रों को काफ़ी नुकसान पहुँचा सकता है। 2024 के आँकड़ों के अनुसार, तुर्किये में भारत से 300,000 सहित लगभग 62.2 मिलियन विदेशी पर्यटकों पहुंचे। पर्यटन राजस्व में $61.1 बिलियन का योगदान हुआ। अकेले भारतीय पर्यटकों ने लगभग $291.6 मिलियन खर्च किए। 

आरएसएस से जुड़े संगठन ने की तुर्किये पर प्रतिबंध लगाने की मांग

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने पाकिस्तान के साथ तुर्किये के ‘‘नापाक गठबंधन’’ के कारण सरकार से उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने, उसके साथ नागरिक उड्डयन संपर्क निलंबित करने, वहां के लिए पर्यटन को कमतर करने और राजनयिक संबंधों का पुनर्मूल्यांकन करने का बुधवार को आग्रह किया।

एसजेएम ने भारत के लोगों से तुर्किये की यात्रा नहीं करने और देश के सैनिकों के प्रति एकजुटता दिखाते हुए तथा राष्ट्र हित में वहां के उत्पादों का बहिष्कार करने की भी अपील की। एसजेएम ने यह अपील भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक सैन्य संघर्ष चलने के बाद बढ़े तनाव की पृष्ठभूमि में की है। संघर्ष में पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के लिए तुर्किये के ड्रोनों का इस्तेमाल किया था।

एसजेएम के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने एक बयान में कहा, ‘‘यह जानकर आश्चर्य होता है कि चीन के बाद पाकिस्तान को हथियार आपूर्ति करने वाले दूसरे सबसे बड़े देश तुर्किए ने पाकिस्तान की नौसेना के आधुनिकीकरण और उसकी हवाई युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।’’

बयान में कहा गया, ‘‘यह रक्षा सहयोग केवल व्यावसायिक नहीं है, यह वैचारिक है जिसका लक्ष्य दक्षिण एशिया की स्थिरता को निशाना बनाना और पाकिस्तान के सैन्य दुस्साहस को बढ़ावा देना है।’’ उन्होंने कहा कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने के इस ‘‘नापाक गठबंधन’’ की एसजेएम निंदा करता है।

महाजन ने कहा, ‘‘स्वदेशी जागरण मंच परस्पर सम्मान और संप्रभुता पर आधारित शांतिपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए सिफारिश करता है कि भारत सरकार तुर्किये पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए, नागरिक विमानन संपर्क निलंबित करे, उस देश के लिए पर्यटन को हतोत्साहित करे तथा तुर्किये के साथ राजनयिक संबंधों का पुनर्मूल्यांकन करे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘तुर्किए में फरवरी 2023 में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान भारत ‘ऑपरेशन दोस्त’ शुरू करने वाले शुरुआती देशों में से एक था। उसने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, सेना की चिकित्सा टीम, फील्ड अस्पताल और चिकित्सा आपूर्ति, जनरेटर, टेंट और कंबल सहित 100 टन से अधिक राहत सामग्री भेजी थी।’’

ऐसा लगता है कि तुर्किए भारत की उदार और मानवीय सहायता को भूल गया है। एकजुटता और सद्भावना की इन पहलों के बावजूद तुर्किये ने राष्ट्रीय सुरक्षा हित के मामलों में भारत के विरोधियों का साथ देना चुना है। विश्वासघात के इस मामले से नैतिक स्पष्टता और रणनीतिक दृढ़ता से निपटा जाना चाहिए। महाजन ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि तुर्किये ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा तक नहीं की।

भारत के तुर्किये, अजरबैजान के साथ व्यापारिक संबंधों में तनाव

भारत के तुर्किये और अजरबैजान के साथ व्यापारिक संबंधों में तनाव आने की आशंका है, क्योंकि इन दोनों देशों ने पाकिस्तान का समर्थन किया है और वहां आतंकी ठिकानों पर भारत के हालिया हमलों की निंदा की है। पाकिस्तान को उनके समर्थन के बाद, पूरे देश में तुर्किये के सामान और पर्यटन का बहिष्कार करने की मांग उठ रही है।

इसके अलावा, ईज़माईट्रिप और इक्सिगो जैसे ऑनलाइन यात्रा मंच ने इन देशों की यात्रा के खिलाफ परामर्श जारी किया है। वास्तव में, भारतीय कारोबारियों ने भी तुर्किये के सेब और संगमरमर जैसे उत्पादों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। भारत ने 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए सात मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था। इसके बाद पाकिस्तान द्वारा किए गए आक्रमण का जवाब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत दिया गया।

भारत और पाकिस्तान ने पिछले शनिवार की शाम पांच बजे से ज़मीन, हवा और समुद्र पर सभी तरह की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाइयों को रोकने के सहमति बनने की घोषणा की थी। संघर्ष के दौरान, पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के अपने असफल प्रयास में तुर्किये के ड्रोन का इस्तेमाल किया था।

तुर्किये और अजरबैजान, दोनों देशों ने पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर भारत के हमले की आलोचना की है। भारत का तुर्किये को निर्यात अप्रैल, 2024 से फरवरी, 2025 के दौरान 5.2 अरब डॉलर रहा, जबकि 2023-24 में यह 6.65 अरब डॉलर था। यह भारत के कुल 437 अरब डॉलर के निर्यात का सिर्फ 1.5 प्रतिशत है।

वहीं, भारत का अजरबैजान को निर्यात अप्रैल, 2024 से फरवरी, 2025 के दौरान मात्र 8.60 करोड़ डॉलर रहा, जबकि 2023-24 में यह 8.96 करोड़ डॉलर था। यह भारत के कुल निर्यात का मात्र 0.02 प्रतिशत है। तुर्किये से भारत का आयात अप्रैल, 2024 से फरवरी, 2025 के दौरान 2.84 अरब डॉलर था, जबकि 2023-24 में यह 3.78 अरब डॉलर था।

यह भारत के कुल 720 अरब डॉलर के आयात का सिर्फ 0.5 प्रतिशत है। भारत में अजरबैजान से आयात अप्रैल, 2024 से फरवरी, 2025 तक 19.3 करोड़ डॉलर था, जो 2023-24 में 7.4 लाख डॉलर यानी भारत के कुल आयात का मात्र 0.0002 प्रतिशत था। भारत का दोनों देशों के साथ व्यापार अधिशेष है।

भारत द्वारा तुर्किये को खनिज ईंधन और तेल (2023-24 में 96 करोड़ डॉलर); विद्युत मशीनरी और उपकरण; वाहन और उसके कलपुर्जे; कार्बनिक रसायन; फार्मा उत्पाद; टैनिंग और रंगाई की वस्तुएं; प्लास्टिक, रबड़; कपास; मानव निर्मित फाइबर, लोहा और इस्पात का निर्यात किया जाता है।

वहीं, तुर्किये से भारत विभिन्न प्रकार के मार्बल (ब्लॉक और स्लैब); ताजा सेब (लगभग एक करोड़ डॉलर), सोना, सब्जियां, चूना और सीमेंट; खनिज तेल (2023-24 में 1.81 अरब डॉलर); रसायन; प्राकृतिक या संवर्धित मोती; लोहा और इस्पात का आयात करता है। दोनों देशों के बीच साल 1973 में एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसके बाद 1983 में आर्थिक और तकनीकी सहयोग पर भारत-तुर्की संयुक्त आयोग की स्थापना पर एक समझौता हुआ।

भारत अजरबैजान को तम्बाकू और उसके उत्पाद (2023-24 में 2.86 करोड़ डॉलर); चाय, कॉफी; अनाज; रसायन; प्लास्टिक; रबड़; कागज और पेपर बोर्ड; और सिरेमिक उत्पाद का निर्यात करता है। वहीं, भारत में अजरबैजान से पशु चारा; जैविक रसायन; आवश्यक तेल और इत्र; तथा कच्ची खालें और चमड़े (अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान 15.2 लाख डॉलर) आता है।

भारत साल 2023 में अज़रबैजान के कच्चे तेल के लिए तीसरा सबसे बड़ा गंतव्य था। वर्तमान में तुर्किये में लगभग 3,000 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें 200 छात्र शामिल हैं। इसी तरह, अज़रबैजान में भारतीय समुदाय के लोगों की संख्या 1,500 से ज़्यादा है।

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