नई दिल्ली: केंद्र के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'मेक इन इंडिया' का बड़ा सकारात्मक प्रभाव टॉय सेक्टर में देखा गया है। मंगलवार को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि पिछले तीन वर्षों में खिलौनों के आयात में 70% की कमी और निर्यात में 61% की वृद्धि हुई है। मंत्रालय ने कहा कि मेक इन इंडिया से इस क्षेत्र के लिए सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं।
वाणिज्य मंत्रालय ने टॉय बिज ने छोटे, मध्यम और बड़े उद्यमों द्वारा घरेलू स्तर पर निर्मित 'मेड इन इंडिया' उत्पाद के साथ 96 प्रदर्शकों को आकर्षित किया। वहीं उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के अतिरिक्त सचिव अनिल अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद खिलौना क्षेत्र में सरकार के हस्तक्षेप से उद्योग को मदद मिली है।
दिल्ली के प्रगति मैदान में लगे टॉय फेयर में अग्रवाल ने संवाददाताओं से कहा कि उनके राजस्व में वृद्धि हुई है, लेकिन एक यूनिकॉर्न बनने के लिए (जिन कंपनियों का मूल्यांकन 1 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक है), उद्योग को दूसरे स्तर तक पहुंचना होगा। उन्हें क्षमता निर्माण के अलावा अपने प्रबंधन में व्यावसायिकता लाने की जरूरत है।"
मेले का आयोजन कोविड के कारण तीन साल के अंतराल के बाद किया गया था। भारत में बने खिलौनों के प्रदर्शन के 96 स्टॉल थे। स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए फरवरी, 2020 में खिलौनों पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दिया गया।
सरकार ने फरवरी 2020 में खिलौने (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश, 2020 जारी किए थे। इसके तहत, खिलौनों को प्रासंगिक भारतीय मानकों की आवश्यकताओं के अनुरूप होना चाहिए और लाइसेंस के तहत मानक चिह्न धारण करना चाहिए। यह घरेलू और विदेशी दोनों निर्माताओं पर लागू होता है जो भारत को अपने खिलौने निर्यात करने का इरादा रखते हैं।
अग्रवाल ने कहा कि भारत में खिलौनों का आयात 2018-19 में 304 मिलियन अमरीकी डॉलर से घटकर 2021-22 में 36 मिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है। जबकि दूसरी ओर, निर्यात 2018-19 में 109 मिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2021-22 में 177 मिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है।