अदालत ने फ्यूचर-रिलायंस सौदे पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश पर रोक लगाई
By भाषा | Updated: February 8, 2021 20:13 IST2021-02-08T20:13:43+5:302021-02-08T20:13:43+5:30

अदालत ने फ्यूचर-रिलायंस सौदे पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश पर रोक लगाई
नयी दिल्ली, आठ फरवरी दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) और रिलायंस रिटेल के बीच 24,713 करोड़ रुपये के कारोबार अधिग्रहण के सौदे के संबंध में एकल न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगा दी।
एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश में एफआरएल और विभिन्न सांविधिक निकायों से यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा गया था।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायाधीश ज्योति सिंह की पीठ ने एकल न्यायाधीश के दो फरवरी के आदेश को चुनौती देने वाली एफआरएल की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह अंतरिम आदेश दिया। पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) और बाजार नियामक सेबी जैसे सांविधिक निकायों को सौदे के संबंध में कानून के अनुसार आगे बढ़ने से रोका नहीं जा सकता है।
अदालत ने अमेजन के इस अनुरोध को भी खारिज कर दिया कि न्यायालय अपने आदेश को एक सप्ताह के लिए रोके रखे, ताकि इस बीच वह उचित कदम उठाने के बारे में परामर्श कर सके।
पीठ ने अमेजन को भी नोटिस जारी किया और 26 फरवरी तक एफआरएल की अपील पर उसका पक्ष मांगा। उसके बाद इस मामले में रोजाना सुनवाई की जाएगी।
अमेजन ने इस सौदे पर सिंगापुर के आपातकालीन मध्यस्थता न्यायाधिकरण के अंतरिम आदेश को लागू कराने के लिये उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश की पीठ के समक्ष अपील दायर की थी। न्यायाधिकरण ने फ्यूचर रिटेल को रिलायंस रिटेल के साथ उसके 24,713 करोड़ रुपये के सौदे पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश दिया था।
खंडपीठ ने सोमवार को अपने अंतरिम आदेश में कहा था कि वह सबसे पहले एकल न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगा रही है। अमेजन और फ्यूचर कूपन्स प्राइवेट लि. (एफसीपीएल) के बीच शेयर अभिदान समझौता (एसएसए) में एफआरएल कोई पक्ष नहीं थी और इसी तरह अमेरिकी ई-वाणिज्य कंपनी एफआरएल और रिलायंस रिटेल के बीच हुए सौदे में कोई पक्ष नहीं है।
पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्ट्या उसका मानना है कि एफआरएल और एफसीपीएल के बीच शेयर होल्डिंग समझौता (एसएसए), एफसीपीएल और अमेजन के बीच शेयर अभिदान समझौता तथा एफआरएल और रिलायंस रिटले के बीच सौदा अलग-अलग चीजें हैं। इसीलिए कंपनी समूह के सिद्धांत को लागू नहीं किया जा सकता।
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