नई दिल्लीः भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने विदेश में रहने वाले ग्राहकों को निवेश सलाह देने वालों को राहत दी है। सेबी के मुताबिक उन्हें निवेश सलाहकारों (आईए) को नियंत्रित करने वाले नियमों के तहत पंजीकरण से छूट दी गई है।
सेबी ने मंगलवार को कहा कि हालांकि, यदि कोई प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) और भारतीय मूल के व्यक्तियों (पीआईओ) को निवेश सलाह देता है, तो वह आईए नियमों के दायरे में आएगा और उसे पंजीकरण की जरूरत होगी। बाजार नियामक ने निवेश सलाहकारों पर अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब में यह बात कही। इसे सेबी की वेबसाइट पर मंगलवार को डाला गया है।
इसके अलावा सेबी ने कहा कि पंजीकृत निवेश सलाहकार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को निवेश सलाहकार सेवाएं दे सकते हैं। निवेश सलाहकार शेयर, ऋणपत्र, बॉन्ड, वायदा-विकल्प, प्रतिभूतिकृत माध्यम, एआईएफ (वैकल्पिक निवेश कोष), आरईआईटी (रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट) और इनविट (बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट) आदि में निवेश की सलाह देते हैं।
गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए खुलासा जरूरतों को लागू करने पर विचार कर रहा है सेबी
पूंजी बाजार नियामक सेबी ऐसी गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए खुलासा जरूरतों को लागू करने पर विचार कर रहा है, जो किसी कारोबारी समूह का हिस्सा हैं। इस समय सूचीबद्ध कंपनियां व्यापक खुलासा जरूरतों के तहत आती हैं, जबकि गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए ये नियम समान रूप से लागू नहीं होते हैं।
सेबी ने 2022-23 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा, ‘‘सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध इकाइयों के एक जटिल समूह की गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के चलते प्रतिभूति बाजार पारिस्थितिकी तंत्र में आने वाले जोखिमों की पहचान, निगरानी और प्रबंधन करने की जरूरत है।'' इसके अलावा, सेबी समूह-स्तर पर लेनदेन की सूचना को बढ़ावा देकर समूह में अधिक पारदर्शिता लाने की योजना बना रहा है।
वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि समूह के भीतर पारस्परिक हिस्सेदारी और भौतिक वित्तीय लेनदेन के विवरण का खुलासा भी करने की जरूरत पर भी विचार किया जाएगा। देश के शीर्ष कारोबारी समूहों में टाटा समूह, रिलायंस इंडस्ट्रीज, अडाणी समूह, आदित्य बिड़ला समूह और बजाज समूह शामिल हैं, जिन पर इस फैसले का असर पड़ सकता है। नियामक वायदा-विकल्प खंड में शेयर पेश करने के लिए पात्रता मानदंड की समीक्षा करने की योजना भी बना रहा है।