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सेबी आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के कीमत दायरा, मूल्य तय करने की प्रक्रिया में सुधार पर कर रहा विचार

By भाषा | Updated: July 28, 2021 19:03 IST

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नयी दिल्ली, 28 जुलाई भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन अजय त्यागी ने बुधवार को कहा कि सेबी आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) नियमों खासकर बुक बिल्डिंग (उपयुक्त कीमत तय करने की प्रक्रिया), स्थिर मूल्य से संबंधित पहलुओं और कीमत दायरे से जुड़े प्रावधानों में संशोधन पर विचार कर रहा है।

उद्योग मंडल फिक्की के सालाना पूंजी बाजार सम्मेलन में त्यागी ने कहा कि आईपीओ के अलावा नियामक तरजीही निर्गम के मामले में भी सुधार पर गौर कर रहा है।

उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में इक्विटी के जरिये कोष जुटाने से जुड़े नियमों की समीक्षा पर जोर बना रहेगा

त्यागी ने कहा, ‘‘हम कुछ प्रस्तावों पर विचार कर रहे हैं। ये अभी शुरूआती चर्चा के स्तर पर हैं। इसमें आईपीओ को लेकर बुक बिल्डिंग और निश्चित मूल्य रूपरेखा तथा कीमत दायरे से संबंधित प्रावधान के अलावा तरजीही निर्गम के मोर्चे पर सुधार शामिल हैं।’’

पिछले कुछ साल में कोष जुटाने की प्रकृति में बदलाव आया है और नियामक पिछले कुछ समय से कोष जुटाने के विभिन्न तरीकों के लिए अपनी मौजूदा व्यवस्था की लगातार समीक्षा कर रहा है।

उन्होंने कहा कि सेबी ने पिछले दो साल में कई महत्वपूर्ण बदलाव किये। इसमें मुख्य रूप से राइट इश्यू और तरजीही निर्गम रूपरेखा शामिल हैं।

सेबी प्रमुख ने कहा कि बड़ी कंपनियों के लिए आईपीओ लाने को आसान बनाने के लिए न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता के नियमों को संशोधित किया गया है। स्टार्टअप को सूचीबद्ध करने में सक्षम बनाने के लिए आईजीपी (इनोवेटर्स ग्रोथ प्लेटफॉर्म) ढांचे में और ढील दी गई है।

उन्होंने कहा कि नियमों को आसान बनाये जाने के कारण ही पिछले पांच साल में यानी 2016-21 के दौरान उससे पहले 2011-16 के मुकाबले छह गुना अधिक कोष जुटाये गये हैं। जहां 2011-16 के दौरान 300 अरब रुपये जुटाये गये, वहीं 2016-21 के दौरान यह 1800 अरब रुपये रहा।

त्यागी ने कहा कि नियामक न्यूनतम शेयरधारित और कारोबार के लिये उपलब्ध सार्वजनिक शेयर की अवधारणा स्तर पर जांच कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता की आवश्यकता 25 प्रतिशत है, चाहे वह एक प्रवर्तक कंपनी हो या सार्वजनिक शेयरधारकों वाली। हम दोनों को जोड़ने या 25 प्रतिशत न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता की सीमा बढ़ाने का इरादा नहीं रखते हैं।

त्यागी ने यह भी कहा कि नियामक प्रवर्तक आधारित व्यवस्था के बजाए नियंत्रणकारी शेयरधारक की धारणा पेश करने पर विचार कर रहा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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