लाइव न्यूज़ :

एफपीओ मामले में प्रवर्तकों के नयूनतम योगदान नियम को समाप्त करने संबंधी प्रस्ताव को सेबी की मंजूरी

By भाषा | Updated: December 16, 2020 21:39 IST

Open in App

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर पूंजी बाजार नियामक सेबी ने बुधवार को अनुवर्ती सार्वजनिक पेशकश (एफपीओ) के मामले में प्रवर्तकों को कुछ शर्तों के साथ राहत देने का फैसला किय है। एफपीओ में प्रवर्तकों के नयूनतम योगदान के नियम को समाप्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के निदेशक मंडल की बुधवार को हुई बैठक में एफपीओ में प्रवर्तक की नयूनतम भागीदारी और जारीकर्ता के लिये आगे शेयर को एक न्यूनतम अवधि तक अपने पास रखने (लॉक-इन) की जरूरतों को समाप्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सेबी के जारी एक वक्तव्य में यह कहा गया है।

मौजूदा नियमों के मुताबिक एफपीओ जारी करते समय कंपनी के प्रवर्तकों को उसमें 20 प्रतिशत का योगदान करना होता है। इसके साथ ही सार्वजनिक तौर पर पूंजी जारी करने के मामले में प्रवर्तकों का जो न्यूनतम योगदान होता है उसपर तीन साल के लिये खरीद- फरोख्त से रोक होती है।

नियामक ने कहा है कि यह राहत उन कंपनियों को उपलब्ध होगी जिनके शेयरों में कम से कम तीन साल के दौरान शेयर बाजार में खुले तौर पर खरीद फरोख्त होती रही है। इसके साथ ही एक और शर्त यह भी रखी गई है कि इन कंपनियों ने निवेशकों की 95 प्रतिशत शिकायतों का निपटारा किया हो।

एफपीओ जारी करने वाली कंपनी कम से कम तीन साल तक शेयर बाजार में सूचीबद्धता दायित्व और खुलासा आवश्यकता नियम के मामले में पूरी तरह से अनुपालन में रही हो।

सेबी निदेशक मंडल ने इसके साथ ही वैकल्पिक निवेश कोषों (एआईएफ) को निवेश समिति सदस्यों के मामले में कुछ रियायतें देने का भी फैसला किया है। सेबी ने कहा है, इसके साथ यह शर्त भी जुड़ी है कि प्रत्येक निवेशक की ओर से कम से कम 70 करोड़ रुपये की पूंजी प्रतिबद्धता होनी चाहिये जो कि उपयुक्त राहत के साथ होगी।’’

सेबी निदेशकमंडल ने शेयर कारोबार में मध्यस्थों का संचालन करने वाले नियमों में संशोधन को भी मंजूरी दी है। सक्षम प्राधिकरण और सदस्य के समक्ष प्रक्रियाओं के दोहराव से बचने के संदर्भ में यह संशोधन किये गये हैं।

निदेशक मंडल ने केन्द्रीय डेटाबस के नियमों को निरस्त करने का भी फैसला किया है। सेबी ने कहा है कि प्रतिभूति बाजार से जुड़े सभी तरह के लेनदेन के मामले में स्थायी खाता संख्या (पैन) को ही पहचान की एकमात्र पहचान संख्या मान लिये जाने और केन्द्रीय डेटा बेस नियमों के तहत जारी विशिष्ट पहचान संख्या की आवश्यकता को समाप्त कर दिये जाने के बाद इस तरह के नियम अनावश्यक हो गये हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेटIND vs SA 5th T20I: भारत ने 3-1 से जीती T20I सीरीज़, आखिरी मैच में दक्षिण अफ्रीका को 30 रन से हराया, वरुण चक्रवर्ती ने झटके 4 विकेट

भारतचुनाव वाले तमिलनाडु में SIR के बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से 97 लाख नाम हटा गए

बॉलीवुड चुस्कीBetting App Case: सट्टेबाजी ऐप मामले में उरावशी रौतेला, युवराज सिंह, सोनू सूद पर ईडी की कार्रवाई

क्रिकेट4,4,4,4,4,4,4,4,4,4,6 तिलक वर्मा की 73 रनों की शानदार पारी, पांचवा टी20 मैच

भारतGujarat: एसआईआर के बाद गुजरात की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी, 73.7 लाख वोटर्स के नाम हटाए गए

कारोबार अधिक खबरें

कारोबारविपक्ष फ्रस्ट्रेशन में हैं, कुछ भी बयान देते हैं, सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा-जनता ने कांग्रेस की नीतियों को पूरी तरह से नकार दिया

कारोबारगृह मंत्री की डेड लाइन से पहले हमने खत्म कर दिया नक्सलवाद, नक्सलियों के पास थे पाकिस्तानी सेना जैसे हथियार?, सीएम मोहन यादव ने विधानसभा में रखे विचार

कारोबारस्वास्थ्य क्षेत्र में 42000 नई नौकरी, मुख्यमंत्री यादव ने विधान सभा पटल पर रखा पक्ष

कारोबार5 साल में हवाई अड्डों कारोबार में 01 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना, अदाणी एयरपोर्ट्स के निदेशक जीत अदाणी ने कहा-लाखों नौकरी की संभावना

कारोबारविधानसभा चुनाव में महिला को 10000 रुपये?,  मुफ़्त बिजली, महिलाओं को 2-2 लाख की मदद और लोकलुभावन वादों ने नीतीश सरकार की तोड़ी कमर?