कच्चे माल के दाम में तेजी, ग्रामीण अर्थव्यवस्था बाधित होने से मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम: क्रिसिल

By भाषा | Updated: May 26, 2021 18:05 IST2021-05-26T18:05:13+5:302021-05-26T18:05:13+5:30

Rise in raw material prices, inflation risk due to disrupted rural economy: CRISIL | कच्चे माल के दाम में तेजी, ग्रामीण अर्थव्यवस्था बाधित होने से मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम: क्रिसिल

कच्चे माल के दाम में तेजी, ग्रामीण अर्थव्यवस्था बाधित होने से मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम: क्रिसिल

मुंबई, 26 मई रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने बुधवार को कहा कि कच्चे माल की ऊंची कीमत और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के कार्यकलाप में बाधायें आने से मूल्य स्थिति पर दबाव बढ़ा है जिससे एक बार फिर मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम बढ़ गया है।

क्रिसिल ने अपनी शोध रिपोर्ट में कहा कि इसके कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर के 5 प्रतिशत रहने का जो अनुमान जताया गया था, उसके ऊपर जाने का जोखिम है।

उल्लेखनीय है कि सब्जियों, अनाज और खाने- पीने की दूसरी वस्तुओं के दाम घटने से खुदरा मुद्रास्फीति की रफ्तार अप्रैल में धीमी पड़कर 4.29 प्रतिशत रही। यह पिछले तीन महीने में मुद्रास्फीति का सबसे निचला आंकड़ा है। वहीं खाने -पीने का सामान, कच्चा तेल और विनिर्मित वस्तुओं के दाम बढ़ने से अप्रैल में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 10.49 प्रतिशत के अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई।

भारतीय रिजर्व बैंक को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत के स्तर पर रखने की जिम्मेदारी दी गई है। अर्थव्यवस्था में 2020-21 में 7.6 प्रतिशत की गिरावट के बावजूद मुद्रास्फीति ऊंची रहने के कारण ही आरबीआई पिछले कई द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती नहीं कर सका।

क्रिसिल ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर ‘लॉकडाउन’ के कारण अप्रैल और मई 2020 में आंकड़ा संग्रह पर असर पड़ा। इसके कारण पिछले साल से तुलना सही स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करेगी। इसीलिए उसने मासिक आधार की मूल्य प्रवृत्ति पर ध्यान दिया है।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर जिंसों के दाम में तेजी से कच्चे माल की लागत बढ़ रही है। इससे विनिर्माण लागत बढ़ रही है और फलत: घरेलू मुद्रास्फीति बढ़ रही है।

इसके अनुसार कच्चे तेल की कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल हो गयी है जो पिछले साल के मुकाबले दोगुनी और 2019 के स्तर के बराबर है। खाद्य तेल के दाम सालाना आधार पर 57 प्रतिशत अधिक है जबकि धातु सूचकांक 76 प्रतिशत अधिक है। परिवहन लागत भी ऊंची है।

उत्पादक फिलहाल उपभोक्ताओं के मुकाबले कच्चे माल की ऊंची लागत का भार ज्यादा उठा रहे हैं। हालांकि मांग बढ़ने के साथ ये लागत का बोझ ग्राहकों पर डाल दिया जाएगा।

जिंसों के दाम में तेजी के साथ गांवों में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर ने आपूर्ति की बाधा भी उत्पन्न की है। इससे मुद्रास्फीति दबाव बढ़ा है। ‘‘स्पष्ट रूप से मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का जोखिम है।

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Web Title: Rise in raw material prices, inflation risk due to disrupted rural economy: CRISIL

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