विदेशी बाजारों में तेजी से सोयाबीन, सीपीओ, पामोलीन, बिनौला में सुधार

By भाषा | Updated: December 16, 2020 21:54 IST2020-12-16T21:54:43+5:302020-12-16T21:54:43+5:30

Rapid improvement in soybean, CPO, palmolein, cottonseed in overseas markets | विदेशी बाजारों में तेजी से सोयाबीन, सीपीओ, पामोलीन, बिनौला में सुधार

विदेशी बाजारों में तेजी से सोयाबीन, सीपीओ, पामोलीन, बिनौला में सुधार

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच स्थानीय तेल तिलहन बाजार में बुधवार को सोयाबीन तेल तिलहन, पाम एवं पामोलीन तेल, बिनौला मिल डिलीवरी और तिल मिल डिलीवरी तेल कीमतों में सुधार आया। बाकी अन्य तेल तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर टिके रहे।

बाजार सूत्रों का कहना है कि सामान्य कारोबार के बीच शिकागो और मलेशिया एक्सचेंज में पर्याप्त तेजी देखी गई। वैश्विक स्तर पर हल्के तेलों की मांग बढ़ने से विदेशी बाजारों में हल्के तेलों की विशेषकर सोयाबीन डीगम की मांग काफी बढ़ी है।

सूत्रों ने बताया कि वैसे विदेशों में हल्के तेलों की मांग के बावजूद स्थानीय स्तर पर ऊंचे भाव वाले तेलों की मांग कम है।

उन्होंने कहा कि सरकार को तेल तिलहन के मामले में विदेशों में निर्भरता कम करने के लिए स्थानीय उत्पादन को बढ़ाने पर गंभीरता से ध्यान देना होगा। इसके साथ ही सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले स्थानीय तेलों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए आयात शुल्क में वृद्धि करने जैसे ठोस कदम उठाने होंगे।

विदेशों में तेजी के रुख और सोयाबीन खल (डीओसी) की मांग बढ़ने से सोयाबीन तिलहन और पाम एवं पामोलीन तेल सहित इसके तेल में सुधार देखने को मिला।

जानकार सूत्रों का कहना है कि जब तक तिलहन किसानों को उनकी तिलहन ऊपज का आकर्षक कीमत नहीं दिया जायेगा, किसान तिलहन खेती बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित नहीं होंगे। इसका एक ताजा उदाहरण यह है कि पिछले साल सरसों की अच्छी कीमत मिलने से ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इस बार सरसों की पैदावार बढ़ेगी। कुछ साल पहले तक हरियाणा, पंजाब, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश में सात से आठ लाख टन सूरजमुखी की पैदावार होती थी लेकिन देशी तेल उद्योग पर ध्यान नहीं दिये जाने के कारण इसकी उपज घटती गई।

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार, उत्तराखंड के हल्द्वानी में कभी सोयाबीन की काफी पैदावार होती थी जो सस्ते आयातित तेल के आयात बढ़ने से पूरी तरह ठप्प पड़ गया। उत्तर प्रदेश के बदायूं, कानपुर, उजानी, हरियाणा के कैथल, पंजाब के तरन तारन में लाखों टन लाहा सरसों की पैदावार होती थी जो सस्ते आयात की वजह से एकदम ठप्प पड़ गया और किसानों ने इसकी खेती छोड़ दी है।

तेल-तिलहन बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन - 5,975 - 6,025 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली दाना - 5,310- 5,375 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 13,250 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,075 - 2,135 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 12,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,840 -1,990 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,960 - 2,070 रुपये प्रति टिन।

तिल मिल डिलिवरी तेल- 11,100 - 15,100 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,650 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,350 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम- 10,500 रुपये।

सीपीओ एक्स-कांडला- 9,260 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,200 रुपये।

पामोलीन आरबीडी दिल्ली- 10,700 रुपये।

पामोलीन कांडला- 9,850 रुपये (बिना जीएसटी के)।

सोयाबीन तिलहन मिल डिलिवरी भाव 4,425 - 4,475 लूज में 4,300-- 4,360 रुपये।

मक्का खल (सरिस्का) - 3,500 रुपये।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Rapid improvement in soybean, CPO, palmolein, cottonseed in overseas markets

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे