अक्टूबर-नवंबर में चीनी आयात पर अतिरिक्त 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की तैयारी, चीन को झटका देंगे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 11, 2025 10:00 IST2025-10-11T09:56:02+5:302025-10-11T10:00:30+5:30
ट्रंप ने ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा, "एक नवंबर, 2025 से (या इससे पहले, जो चीन की किसी भी आगामी कार्रवाई या परिवर्तन पर निर्भर करेगा) अमेरिका चीन पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाएगा।

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वॉशिंगटनः अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि वह एक नवंबर से या उससे पहले चीनी आयात पर अतिरिक्त 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की तैयारी कर रहे हैं। ट्रंप की इस घोषणा से तीव्र मंदी और वित्तीय बाजार में अराजकता की आशंका बढ़ गई थी। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वह चीन द्वारा दुर्लभ मृदा पर लगाए गए निर्यात नियंत्रण के कारण ये नए शुल्क लगा रहे हैं। ट्रंप ने ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा, "एक नवंबर, 2025 से (या इससे पहले, जो चीन की किसी भी आगामी कार्रवाई या परिवर्तन पर निर्भर करेगा) अमेरिका चीन पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाएगा।
यह फिलहाल चुकाए जा रहे शुल्क के अतिरिक्त होगा।” ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि दक्षिण कोरिया की आगामी यात्रा के दौरान चीनी नेता शी चिनफिंग से उनकी मुलाकात का "कोई कारण नहीं दिखता।" उन्होंने चीन द्वारा अमेरिकी उद्योग के लिए आवश्यक दुर्लभ मृदा के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद अतिरिक्त शुल्क लगाने की धमकी दी है।
एशिया की आगामी यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति से मिलने का कोई कारण नहीं दिखता : ट्रंप
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें एशियाई देशों की आगामी यात्रा के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मिलने का कोई कारण नहीं दिखता, क्योंकि चीन ने अमेरिकी उद्योग के लिए आवश्यक दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति आगामी दिनों में दक्षिण कोरिया का दौरा करने वाले हैं।
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट में यह भी संकेत दिया कि वह शी चिनफिंग के कदमों के जवाब में चीनी उत्पादों पर आयात करों में "भारी वृद्धि" करने पर विचार कर रहे हैं। ट्रंप ने ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट किया, "इस समय हम जिन नीतियों पर विचार कर रहे हैं, उनमें से एक है अमेरिका में आने वाले चीनी उत्पादों पर शुल्क (टैरिफ) में भारी वृद्धि। ऐसे कई अन्य कदम भी हैं जिन पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।"
रूस और अमेरिका सामूहिक विनाश के हथियारों पर नियंत्रण के लिए द्विपक्षीय वार्ता फिर से शुरू कर सकते हैं। रूस के एक प्रमुख अखबार ने शुक्रवार को एक शीर्ष हथियार नियंत्रण वार्ताकार के हवाले से प्रकाशित खबर में यह जानकारी दी। यह खबर ऐसे समय में आई है, जब यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियान को लेकर मॉस्को और वाशिंगटन के बीच संबंध शीतयुद्ध काल के बाद सबसे निचले स्तर पर हैं।
‘इजवेस्तिया’ अखबार ने जिनेवा में रूस के स्थायी प्रतिनिधि गेनादी गैतिलोव के हवाले से कहा, “अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल निरस्त्रीकरण सम्मेलन से जुड़ी तैयारियों को लेकर हाल-फिलहाल में अधिक सक्रिय हो गया है। हमारे देश को लेकर बयानबाजी की भाषा में उल्लेखनीय बदलाव आया है और यूक्रेन संकट के सिलसिले में रूस पर आरोप लगाना बंद हो गया है।”
गैतिलोव ने कहा, “ऐसे में कोई अमेरिका और यूरोप के कट्टर रूस-विरोधियों के रुख में अंतर को नजरअंदाज नहीं सकता। अमेरिकी प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे सम्मेलन के दौरान बातचीत बहाल करने में दिलचस्पी रखते हैं।” रूसी राजनयिक ने कहा कि आपसी हित से जुड़े मुद्दों पर छिटपुट चर्चा को छोड़कर अमेरिका के साथ बातचीत बहुत सीमित है।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चुनावी जीत के बाद वाशिंगटन ने ‘रुको और देखो’ का रवैया अपनाया है, जिसके तहत उसने चर्चाओं पर नजर रखने पर ध्यान केंद्रित किया है। खबर के अनुसार, जैविक हथियारों से संबंधित क्षेत्रों में भी नये सिरे से सहयोग की संभावनाएं हैं।
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें वार्षिक सत्र में ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका जैविक हथियारों की निगरानी के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व करेगा। रूस ने अमेरिका के जैविक और विषैले हथियारों के विकास, उत्पादन एवं भंडारण पर प्रतिबंध तथा उनके विनाश (बीटीडब्ल्यूसी) पर संधि के तहत एक सत्यापन तंत्र की आवश्यकता को मान्यता दिए जाने का स्वागत किया है।
हालांकि, हथियार नियंत्रण पर मॉस्को और वाशिंगटन के बीच कई प्रमुख मुद्दे अनसुलझे हैं, खास तौर पर नयी स्टार्ट संधि का भविष्य, जो फरवरी 2026 में समाप्त हो रही है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रस्ताव दिया है कि दोनों देश संधि के मुख्य प्रावधानों का एक साल और पालन करें, ताकि नये समझौते पर बातचीत के लिए समय मिल सके। ट्रंप ने पुतिन के प्रस्ताव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए इसे एक “अच्छा विचार” बताया था। हालांकि, उन्होंने वाशिंगटन के आधिकारिक रुख के बारे में विस्तार से कुछ नहीं कहा था।