लखनऊः उत्तर प्रदेश में उद्योग निदेशालय के अफसरों की लापरवाही के चलते बीते एक साल से विश्वकर्मा योजना के तहत 75 हजार कारीगरों को मुफ्त टूलकिट वितरित नहीं किए जा सके हैं. उद्योग निदेशालय के अफसरों की लापरवाही को सूबे के एमएसएमई मंत्री राकेश सचान ने गंभीरता से लेते हुए इस मामले की जांच कराकर दोषी अफसरों को दंडित करने का ऐलान किया है. इसके साथ ही उन्होने कहा है कि अगले दो माह में विश्वकर्मा योजना के तहत प्रशिक्षण लेने वाले 75 हजार कारीगरों को मुफ्त टूलकिट वितरित किए जाएंगे.
इन कारीगरों को दी जाती है टूलकिट
विश्वकर्मा योजना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फ्लैगशिप योजना है. इसे उन्होंने ही पहली बार देश में शुरू किया था. इस योजना के तहत सरकार हर कारीगर को 15 हजार रुपए की टूलकिट बढ़ई, कुम्हार, मोची, लोहार, स्वर्णकार, जुलाहा, दर्जी, राजमिस्त्री, नाई, पेंटर आदि को प्रशिक्षण देकर मुफ्त वितरित करती है, ताकि कारीगर बेहतर तारीके से अपना कार्य करें.
उत्तर प्रदेश की इस योजना को 17 सितंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में लागू कर दिया. यूपी में इसी के बाद उक्त योजना में उद्योग निदेशालय के अफसरों ने लापरवाही बरती. हुआ यह की उद्योग निदेशालय के अफसरों ने विश्वकर्मा योजना के तहत जेम पोर्टल के जरिए एक कंपनी से टूलकिट खरीदने का फैसला किया.
उस कंपनी को आपूर्ति करने का आदेश जारी कर दिया. बताया जाता है जिस कंपनी को टूलकिट की आपूर्ति करने का कार्य मिला था, वह कंपनी कई मानकों को पूरा नहीं करती थी. इसले लेकर तमिलनाडु की एक कंपनी हाईकोर्ट के स्थगनादेश ले आई. इसी के बाद टूलकिट वितरित का वितरण विवादों में घिर गया.
दोषी अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी
यह मामला विभागीय मंत्री राकेश सचान के संज्ञान में आया तो उन्होंने उद्योग निदेशालय के उच्चाधिकारियों की क्लास लगाई और स्टे हटवाने के लिए हाईकोर्ट में सरकार के पक्ष को मजबूती से रखने को कहा. इस कार्य में वक्त लगा और सरकार को स्टे हटवाने में कई महीने लगे. इस कारण से बीते साल कारीगरों को टूलकिट बांटी नहीं जा सकी.
इस कवायद के बाद अब एमएसएमई मंत्री राकेश सचान का कहना है कि कुछ कारणों से बीते साल करीब 100 करोड़ रुपए की टूलकिट की खरीद नहीं हो सकी, परंतु अब टूलकिट खरीदने के बाबत सारी बाधा दूर कर ली गई है. अगले दो माह में विश्वकर्मा योजना के तहत प्रशिक्षण लेने वाले 75 हजार कारीगरों को टूलकिट वितरित किए जाएंगे.
पिछले साल चिन्हित किए गए सभी कारीगरों को टूलकिट वितरित करने के बाद इस वित्तीय वर्ष के लिए योजना के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम शौरी किया जाएगा. इसके साथ ही जिन अफसरों की लापरवाही के कारण टूलकिट खरीदने में विलंब हुआ उसकी जांच कराकर दोषी पाए गए अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.