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PM Modi SCO Summit China: 2.8 अरब लोगों का कल्याण?, कैलाश मानसरोवर यात्रा, सीमा पर शांति और स्थिरता और भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानें, देखिए बैठक की मुख्य बातें

By सतीश कुमार सिंह | Updated: August 31, 2025 12:41 IST

PM Modi in China for SCO Summit LIVE Updates: प्रधानमंत्री मोदी ने होटल में सितार, संतूर और तबला जैसे भारतीय शास्त्रीय वाद्ययंत्रों पर चीनी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत एक प्रस्तुति में भाग लिया।

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ठळक मुद्देPM Modi in China for SCO Summit LIVE Updates: सात साल से ज़्यादा के अंतराल और गलवान झड़प के बाद यह उनकी पहली चीन यात्रा है। PM Modi in China for SCO Summit LIVE Updates: अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ और अमेरिका के साथ चीन के अस्थिर संबंधों के बीच हो रही है।PM Modi in China for SCO Summit LIVE Updates:  "भारत माता की जय" और "वंदे मातरम" के नारों के साथ स्वागत किया।

तियानजिनः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से पहले चीन के तियानजिन में द्विपक्षीय वार्ता किए। यह बैठक अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ और अमेरिका के साथ चीन के अस्थिर संबंधों के बीच हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए चीन पहुंचे। सात साल से ज़्यादा के अंतराल और गलवान झड़प के बाद यह उनकी पहली चीन यात्रा है। प्रधानमंत्री मोदी के आगमन पर भारतीय समुदाय के सदस्यों ने "भारत माता की जय" और "वंदे मातरम" के नारों के साथ स्वागत किया और उनके प्रति सम्मान और समर्थन व्यक्त किया। बाद में, प्रधानमंत्री मोदी ने होटल में सितार, संतूर और तबला जैसे भारतीय शास्त्रीय वाद्ययंत्रों पर चीनी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत एक प्रस्तुति में भाग लिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के राष्ट्रपति चिनफिंग से कहा कि भारत आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर चीन के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को पुन: संयोजित करने के लिए व्यापक वार्ता की। मोदी ने टेलीविजन पर प्रसारित वक्तव्य की शुरुआत में कहा कि 2.8 अरब लोगों का कल्याण भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय सहयोग से जुड़ा है।

उत्तरी चीन के इस शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन के इतर दोनों नेताओं के बीच यह बातचीत अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन की शुल्क संबंधी नीति से पैदा हुई उथल पुथल की पृष्ठभूमि में हुई। मोदी दो देशों की अपनी यात्रा के दूसरे चरण में शनिवार शाम जापान से यहां पहुंचे।

यह मई 2020 में शुरू हुए पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के बाद मोदी की चीन की पहली यात्रा है। प्रधानमंत्री ने पिछले साल अक्टूबर में रूस के कजान में चीन के राष्ट्रपति के साथ वार्ता की थी जो भारत एवं चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में गतिरोध समाप्त करने के लिए एक समझौते पर पहुंचने के कुछ दिनों बाद हुई थी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष की (सीमा से सैनिकों की) वापसी प्रक्रिया के बाद सीमा पर शांति और स्थिरता है तथा दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें पुनः शुरू की जा रही हैं। प्रधानमंत्री ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के फिर से शुरू होने का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सीमा प्रबंधन पर हमारे विशेष प्रतिनिधियों के बीच सहमति थी। भारत और चीन के बीच सीमा से संबंधित मुद्दों को सुलझाने के लिए 'सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों' का तंत्र है। मोदी ने कहा, ‘‘हम आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर अपने सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’

प्रधानमंत्री ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की चीन द्वारा सफलतापूर्वक अध्यक्षता किए जाने पर शी को बधाई भी दी। अभी इस बारे में जानकारी नहीं मिली है कि मोदी और शी के बीच बैठक में विशिष्ट रूप से क्या बातचीत हुई। तियानजिन की अपनी यात्रा से पहले मोदी ने कहा था कि विश्व आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए भारत और चीन का मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है।

जापान के समाचार पत्र ‘द योमिउरी शिंबुन’ के साथ एक साक्षात्कार में मोदी ने कहा था कि भारत और चीन के बीच स्थिर और सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति और समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मोदी ने शुक्रवार को प्रकाशित साक्षात्कार में कहा, “विश्व अर्थव्यवस्था में मौजूदा अस्थिरता को देखते हुए, दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में भारत और चीन का विश्व आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है।” मोदी की चीन यात्रा चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा के एक पखवाड़े से भी कम समय बाद हो रही है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ वांग की व्यापक वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने ‘‘स्थिर, सहयोगात्मक और दूरदर्शी’’ संबंधों के लिए कई कदम उठाए जाने की घोषणा की थी। इन कदमों में विवादित सीमा पर संयुक्त रूप से शांति बनाए रखना, सीमा पर व्यापार को फिर से खोलना और सीधी उड़ान सेवाओं को जल्द से जल्द फिर से शुरू करना शामिल था।

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