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मधुमक्खियां पाल कर हाथियों को बस्ती से दूर रखने की योजना का विस्तार होगा:गडकरी

By भाषा | Updated: April 9, 2021 00:09 IST

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नयी दिल्ली आठ अप्रैल केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम-एमएसएमई ​​मंत्री नितिन गडकरी ने जंगली हाथियों को मानव बस्तियों से दूर रखने की खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) की अभिनव परियोजना आरई-एचएबी की सराहना की है और इसे समस्याग्रस्त सभी राज्यों में जल्द लागू करने की घोषणा की है।

एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि आरई-एचएबी (मधुमक्खियों की सहायता से मनुष्यों पर हाथियों के हमले की रोकथाम) परियोजना में बहुत अधिक संभावनाएं हैं और इसे जल्द ही पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, असम, तमिलनाडु और केरल जैसे हाथियों के हमलों से प्रभावित सभी राज्यों में लागू किया जाएगा।

बयान के मुताबिक कर्नाटक के कोडागू जिले में चार स्थानों पर हाथियों की उपस्थिति काफी कम हो गई है। गडकरी ने कहा कि परियोजना के लागू होने से कोडागू में मानव क्षेत्रों में हाथियों के आवागमन को रोकने में बहुत उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं।

कर्नाटक के कोडागू जिले के नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान की परिधि में चार स्थानों पर आरई-एचएबी परियोजना का शुभारंभ केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना द्वारा पिछले महीने किया गया।इसमें मधुमक्खी पालने की पेटियों को बाड़ के रूप में उपयोग किया जाता है| मधुमक्खियों का झुंड हाथियों को सबसे ज्यादा परेशान करता है और हाथियों की आवाजाही को काफी हद तक कम कर देता है।

इन स्थानों पर लगाए गए नाइट विज़न कैमरों ने मधुमक्खी के बक्सों को देखकर हाथियों के व्यवहार में बदलाव की अद्भुत तस्वीरें खींची हैं। कई हाथियों को मधुमक्खियों के डर से जंगलों में वापस लौटते हुए देखा गया है।

पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, असम, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्य प्रमुख रूप से हाथी - मानव संघर्ष वाले क्षेत्र हैं जहां केवीआईसी चरणबद्ध तरीके से आरई-एचएबी परियोजना को लागू करने की योजना बना रहे हैं। 2015 से देश भर में जंगली हाथियों के साथ संघर्ष में लगभग 2400 लोग मारे गए हैं।

केवीआईसी के अध्यक्ष ने कहा कि इस परियोजना के माध्यम से, इन क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय लोगों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा और मधुमक्खियों के बक्से प्रदान किए जाएंगे जो जंगली हाथियों को भगाने के लिए उपयोग किए जाएंगे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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