नयी दिल्ली: फ्लिपकार्ट और फोनपे ने अलग होने की प्रक्रिया पूरी कर ली है और दोनों कंपनियां अमेरिका की खुदरा कंपनी वॉलमार्ट के तहत काम करना जारी रखेंगी। शुक्रवार को एक संयुक्त बयान में यह जानकारी दी गई। फ्लिपकार्ट समूह ने 2016 में फोनपे का अधिग्रहण किया था।
बयान में कहा गया है, ‘‘इस लेन-देन के तहत वॉलमार्ट की अगुवाई में फ्लिपकार्ट सिंगापुर और फोनपे सिंगापुर के मौजूदा शेयरधारकों ने फोनपे इंडिया में सीधे शेयर खरीदे हैं। इससे फोनपे के पूरी तरह से भारतीय कंपनी बनने की प्रक्रिया पूरी हो गई है। यह प्रक्रिया इसी साल शुरू की गई थी।’’
वॉलमार्ट दोनों कारोबारी समूहों की बहुलांश शेयरधारक बनी रहेगी। फोनपे के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) समीर निगम ने कहा, ‘‘फ्लिपकार्ट और फोनपे 40-40 करोड़ के प्रयोगकर्ताओं के साथ अब भारतीय ब्रांड हैं।’’
उन्होंने कहा कि हम अपनी वृद्धि के अगले चरण को देख रहे हैं। हम अपने नए कारोबार क्षेत्रों मसलन बीमा, संपत्ति प्रबंधन और कर्ज देने के व्यवसाय में निवेश कर रहे हैं। इसके साथ ही हम देश में यूपीआई भुगतान की वृद्धि की अगली लहर का हिस्सा बन रहे हैं। इससे हम अरबों भारतीय के वित्तीय समावेशन के अपने दृष्टिकोण को पूरा कर सकेंगे।
यह अलगाव उस समय हो रहा है जब फोनपे अपनी आईपीओ लाने की कोशिश में जुटा है। इस महीने की शुरुआत में ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि कंपनी की आईपीओ लगभग 18 से 24 महीने बाद आ सकती है। दरअसल, कंपनी 13 अरब डॉलर के मूल्यांकन पर करीब 1 अरब डॉलर जुटाना चाहती है।