कोविड-19 उपचार पर पेटेंट से छूट के नियम डब्ल्यूटीओ में तुरंत तय किए जाएं: विशेषज्ञ

By भाषा | Updated: May 6, 2021 20:20 IST2021-05-06T20:20:19+5:302021-05-06T20:20:19+5:30

Patent exemption rules on Kovid-19 treatment should be immediately decided in the WTO: Expert | कोविड-19 उपचार पर पेटेंट से छूट के नियम डब्ल्यूटीओ में तुरंत तय किए जाएं: विशेषज्ञ

कोविड-19 उपचार पर पेटेंट से छूट के नियम डब्ल्यूटीओ में तुरंत तय किए जाएं: विशेषज्ञ

नयी दिल्ली, छह मई विशेषज्ञों ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) सदस्य देशो को कोविड-19 टीकों को लेकर पेटेंट नियमों में छूट के प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिये तत्काल बातचीत शुरू करने का सुझाव दिया है। उनका कहना है कि जिस तेजी से कोरोना वायरस संक्रमण फैल रहा है, उसके लिये यह जरूरी है।

भारत और दक्षिण अफ्रीका के डब्ल्यूटीओ में कोविड-टीकों को लेकर पेटेंट नियमों में छूट देने के प्रस्ताव को अमेरिका के समर्थन के साथ विशेषज्ञों ने यह बात कही।

उल्ललेखनीय है कि भारत और दक्षिण अफ्रीका ने अक्टूबर 2020 में कोविड-19 संक्रमण के इलाज, उसकी रोकथाम के संदर्भ में प्रौद्योगिकी के उपयोग को लेकर डब्ल्यूटीओ के सभी सदस्य देशों के लिये ट्रिप्स समझौते के कुछ प्रावधानों से छूट देने का प्रस्ताव किया।

व्यापार संबंधित पहलुओं पर बौद्धिक संपदा अधिकार (ट्रिप्स) का डब्ल्यूटीओ का करार जनवरी 1995 में अमल में आया। यह कॉपीराइट, औद्योगिक डिजाइन, पेटेंट और अघोषित सूचना या व्यापार गोपनीयता के संरक्षण जैसे बौद्धिक संपदा पर बहुपक्षीय समझौता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि डब्ल्यूटीओ में बातचीत जितनी जल्दी हो, निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए क्योंकि दुनिया को कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम और संक्रमित लोगों के इलाज के लिये टीकों और अन्य चिकित्सा उत्पादों की जरूरत है।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर विश्वजीत धर ने कहा, ‘‘डब्ल्यूटीओ में प्रस्ताव पर बातचीत कबतक चलेगी? यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमें अभी चीजों की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मंजूर विषय वस्तु का ब्योरा महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इसमें कोई शर्तें नहीं होनी चाहिए। शर्तें होने पर भारत और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के लिये टीकों का निर्माण मुश्किल हो जाएगा। सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि मंजूर विषय वस्तु में क्या होता है।’’

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी की रोकथाम और संक्रमितों के इलाज के लिये जो भी जरूरी है, उसे आईपीआर (बौद्धिक संपदा अधिकार) से मुक्त रखा जाना चाहिए।

राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा संगठन (एनआईपीओ) के अध्यक्ष टीसी जेम्स ने कहा कि मंजूर प्रस्ताव की बातें महत्वपूर्ण है और डब्ल्यूटीओ सदस्य देशों को इस पर तुंरत बातचीत शुरू करनी चाहिए।

जेम्स ने कहा, ‘‘यहां प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण है। आईपीआर कोई बड़ी चीज नहीं है। हमें औषधि कंपनियों के बीच और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की जरूरत है।’’

बाइडेन प्रशासन ने डब्ल्यूटीओ में भारत और दक्षिण अफ्रीका के कोविड-19 टीकों को लेकर पेटेंट नियमों में ढील दिये जाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है। इसे महामारी के खिलाफ वैश्विक अभियान में एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। इससे सस्ती दरों पर टीकों की आपूर्ति विकासशील और कम विकसित देशों को हो सकेगी।

आंतरिक स्तर पर गहन चर्चा के बाद अमेरिका की व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई ने बुधवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा कि यह वैश्विक स्वास्थ्य संकट और असाधारण स्थिति है। इसके लिये असाधारण उपायों की जरूरत है।

शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी में भागीदार और राष्ट्रीय प्रैक्टिस प्रमुख (आईपीआर) डेव रॉबिन्सन ने कहा, ‘‘आईपीआर का निलंबन समाधान का केवल एक हिस्सा है। ऐसे हालात में आईपीआर मालिक अपने अधिकारों पर संभवत: जोर नहीं देंगे। इसका दूसरा हिस्सा वास्तविक सहयोग है। यानी विनिर्माण किस प्रकार होना है, उसके बारे में जानकारी की जरूरत होगी। यह थोड़ा पेचीदा है।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या इस कदम से भारतीय औषधि कंपनियों को वैश्विक दवा कंपनियों से प्रौद्योगिकी की जानकारी मिलेगी ताकि वे घरेलू स्तर पर टीके बना सके, उन्होंने कहा कि गुणवत्ता तत्व महत्वपूर्ण है और इकाइयों को स्थापित करने में समय लग सकता है।

डेलॉयट इंडिया के भागीदार जयशील शाह ने कहा कि अमेरिका ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और अन्य देशों से भी मंजूरी की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे चीजें सस्ती होंगी और विकासशील/अल्पविकसित देशों तक पहुंच बढ़ेगी। कुल मिलाकर इससे महामारी के खिलाफ अभियान में मदद मिलेगी।’’

शाह ने कहा, ‘‘निश्चित रूप से इससे भारत को प्रमुख संगठनों से प्रौद्योगिकी जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इससे हमारे पास विभिन्न प्रकार के टीके होंगे और वह तेजी से लोगों तक पहुंच पाएगा।

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Web Title: Patent exemption rules on Kovid-19 treatment should be immediately decided in the WTO: Expert

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