नयी दिल्ली, नौ मार्च संसद की एक समिति ने मंगलवार को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के खराब प्रदर्शन को लेकर चिंता जतायी है। उसने कहा कि मंत्रालय ने आवंटित कोष का निरंतर कम उपयोग किया है और प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) जैसी प्रमुख योजना, अच्छी प्रतिक्रिया हासिल करने में विफल रही है।
पीएमकेएसवाई एक प्रमुख योजना है, जिसे मई 2017 में मंजूरी दी गई है। इसके तहत आठ उप-योजनाएं लागू की जा रही हैं, जिनमें मेगा फूड पार्क, एकीकृत शीतभंडार श्रृंखला और मूल्यवर्धित बुनियादी ढाँचा शामिल हैं।
लोकसभा में पेश अपनी 26 वीं रिपोर्ट में, भाजपा सांसद सी गद्दीगौदर की अध्यक्षता वाले कृषि मामलों पर संसदीय स्थायी समिति ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय को वित्त वर्ष 2021-22 में बजटीय अनुमान में 1,308.66 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। यह इसकी 3,490.07 करोड़ रुपये की प्रस्तावित मांग से कम था। हालाँकि, आवंटित राशि बजटीय अनुमान 2020-21 के दौरान दी गई 1,247.42 करोड़ रुपये से अधिक थी।
समिति ने पाया कि धन का कम आवंटन, मंत्रालय द्वारा आवंटित धन के कम उपयोग के कारण हुआ था।
इसलिए समिति ने सिफारिश की कि मंत्रालय को आवंटित धन के अनुकूलतम उपयोग के लिए सख्त प्रयास करना चाहिए।
समिति ने टमाटर, आलू और प्याज के अलावा योजना के तहत अन्य खराब होने वाली वस्तुओं को शामिल करने के मंत्रालय के फैसले की सराहना की क्योंकि इससे न केवल किसानों को उनकी उपज की संकटग्रस्त बिक्री से मुक्ति का लाभ मिलेगा बल्कि उनकी आय बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति सीमित धन के साथ इस योजना के उचित कार्यान्वयन को लेकर आशंकित है।
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