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One State-One RRB: 28 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, 700 जिला और 22000 से अधिक शाखा?, आज से एक राज्य-एक आरआरबी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 1, 2025 14:27 IST

One State-One RRB:  क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण का यह चौथा चरण होगा, जिसके पूरा होते ही आरआरबी की संख्या मौजूदा के 43 से घटकर 28 रह जाएगी।

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ठळक मुद्देवित्त मंत्रालय ने 11 राज्यों में 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण से संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है।महाराष्ट्र, ओडिशा एवं राजस्थान में मौजूद क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का एक इकाई में विलय किया।अधिनियम, 1976 की धारा 23ए(1) के तहत प्रदत्त शक्तियों के अनुरूप ये आरआरबी एक एकल इकाई में एकीकृत हो गए।

नई दिल्लीः वित्त मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि एक मई से ‘एक राज्य एक आरआरबी’ योजना लागू होने के साथ ही 700 जिलों में 22,000 से अधिक शाखाओं वाले 28 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) देशभर में काम करेंगे। ‘एक राज्य एक आरआरबी’ के अंतर्गत 11 राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों के 26 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को राज्य/केंद्र शासित क्षेत्र में एकल आरआरबी में समाहित कर दिया गया है। वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने कहा, इस विलय से आरआरबी की संख्या 43 से घटकर 28 हो गई है, जिससे आरआरबी की व्यवहार्यता तथा वित्तीय प्रदर्शन में और सुधार होगा। डीएफएस से सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘अब 28 आरआरबी होंगे जिनकी 700 जिलों में 22000 से अधिक शाखाएं होंगी।’’ इस विलय के परिणामस्वरूप एकीकृत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का पूंजी आधार बढ़ेगा, जिससे संबंधित राज्य विशिष्ट लक्ष्यों के अनुरूप ऋण वृद्धि तथा विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा। सभी संस्थाओं की अधिकृत पूंजी 2,000 करोड़ रुपये होगी। एक मई से देश के हर राज्य में एक ही क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) मौजूद होगा। इस प्रस्ताव पर अमल के लिए वित्त मंत्रालय ने 11 राज्यों में 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण से संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण का यह चौथा चरण होगा, जिसके पूरा होते ही आरआरबी की संख्या मौजूदा के 43 से घटकर 28 रह जाएगी। वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक, देश के 11 राज्यों- आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा एवं राजस्थान में मौजूद क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का एक इकाई में विलय किया।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 की धारा 23ए(1) के तहत प्रदत्त शक्तियों के अनुरूप ये आरआरबी एक एकल इकाई में एकीकृत हो गए। इसी क्रम में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, इंडियन बैंक और भारतीय स्टेट बैंक द्वारा प्रायोजित चैतन्य गोदावरी ग्रामीण बैंक, आंध्र प्रगति ग्रामीण बैंक, सप्तगिरि ग्रामीण बैंक और आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक को आंध्र प्रदेश ग्रामीण बैंक के रूप में मिला दिया।

उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मौजूद तीन-तीन आरआरबी का भी एकल इकाई में विलय किया। ​उत्तर प्रदेश में मौजूद बड़ौदा यू.पी. बैंक, आर्यावर्त बैंक और प्रथमा यू.पी. ग्रामीण बैंक को उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक नाम की इकाई में मिला दिया गया है, जिसका मुख्यालय बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रायोजन के तहत लखनऊ में होगा।

पश्चिम बंगाल में संचालित बंगीय ग्रामीण विकास, पश्चिम बंग ग्रामीण बैंक और उत्तरबंग क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक को पश्चिम बंगाल ग्रामीण बैंक में मिला दिया जाएगा। इसके अलावा देश के आठ राज्यों- बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान में दो-दो आरआरबी को एक में मिलाया।

दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक को मिलाकर बिहार ग्रामीण बैंक बनेगा जिसका मुख्यालय पटना में होगा। गुजरात में बड़ौदा गुजरात ग्रामीण बैंक और सौराष्ट्र ग्रामीण बैंक को मिलाकर गुजरात ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा। अधिसूचना के मुताबिक, सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पास 2,000 करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी होगी।

एकीकरण के पहले इन क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में सरकार ने पूंजी भी डाली है। वित्त वर्ष 2021-22 में केंद्र ने दो साल की अवधि में अपने हिस्से के रूप में 5,445 करोड़ रुपये आरआरबी में डालने का फैसला किया था। वित्त वर्ष 2023-24 में आरआरबी का प्रदर्शन कई मापदंडों पर ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया।

आरआरबी ने उस साल 7,571 करोड़ रुपये का अबतक का सबसे अधिक एकीकृत शुद्ध लाभ दर्ज किया और उनका एकीकृत पूंजी पर्याप्तता अनुपात 14.2 प्रतिशत के सर्वकालिक उच्चस्तर पर था। केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2004-05 में आरआरबी के संरचनात्मक एकीकरण की पहल की थी।

इस सिलसिले में अबतक संचालित तीन चरणों में ऐसे संस्थानों की संख्या 2020-21 तक 196 से घटकर 43 रह गई थी। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का गठन आरआरबी अधिनियम, 1976 के तहत किया गया था। इनके गठन का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे किसानों, कृषि मजदूरों और कारीगरों को ऋण और अन्य सुविधाएं प्रदान करना था।

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