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पूरी दुनिया में हर 3 में से केवल 1 ही कर्मचारी अपने काम व सैलेरी लेकर है खुश, सर्वे में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

By आजाद खान | Updated: November 30, 2022 11:31 IST

आपको बता दें कि कंसल्टिंग फर्म गार्टनर इंक द्वारा इस सर्वे को कराने का मकसद यह था इस बात का खुलासा हो कि आखिर क्यों कोविड-19 के बाद इतने कर्मचारियों द्वारा इतने इस्तीफे दिए जा रहे है।

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ठळक मुद्देकंसल्टिंग फर्म गार्टनर इंक ने कर्मचारियों को लेकर एक सर्वे किया है। सर्वे में यह दावा किया गया है कि दुनिया के 32 फीसदी कर्मचारी अपने सैलेरी से खुश नहीं है। यह भी दावा किया गया है इन कर्मचारियों को अपनी कंपनी पर भरोसा नहीं है।

नई दिल्ली: कर्मचारियों को लेकर एक सर्वे में चौकानेवाले खुलासे हुए है। एक हाल में ही हुए एक सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि पूरी दुनिया में हर तीन में से केवल एक ही कर्मचारी अपने वेतन से खुश है। ऐसे में यह कह सकते है कि केवल 32 फीसदी लोगों को यह लगता है कि उनकी सैलेरी उनके हिसाब से है और वे इस पर खुश है। 

हालांकि इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे है लेकिन जो मुख्य कारण है वह यह है कि इन कर्मचारियों को अपने कंपनी पर ही भरोसा नहीं है। यही नहीं सर्वे में कई और खुलासे हुए है जिससे उनके काम करने की क्षमता पर भी असर पड़ रहा है। 

क्या हुआ है खुलासा

दरअसल, यह खुलासा कंसल्टिंग फर्म गार्टनर इंक के एक सर्वेक्षण में है जिसमें 3500 से भी लोगों को शामिल किया गया था। इस सर्वे में यह साफ हुआ है कि पूरी दुनिया में केवल 32 प्रतिशत कर्मचारी ही ऐसे है जिन्हें यह लगता है कि उनका वेतन उनके हिसाब से उचित है। 

यही नहीं सर्वे ने यह भी बताया है कि टॉक्सिक वर्क कल्चर और खराब वर्क लाइफ-बैलेंस के साथ खराब अनुभव कंपनी न भरोसे करने के मुख्य कारण है। ऐसे में इस सर्वे को कराने का मुख्य मकसद यह जानना था कि आखिर क्यों कोरोना के बाद कंपनियों में इस्तीफे की कल्चर बढ़ी है। 

कंपनियों पर नहीं है कर्मचारी को भरोसा

इस सर्वे को कराने के मकसद है यह था कि यह जानना कि कोविड-19 के बाद इतने क्यों इस्तीफे हो रहे है। ऐसे में जब यह सर्वे हुआ था तो इस बात का खुलासा हुआ है जब कंपनियों में इस्तीफे की बाढ़ आई थी तक कंपनी में बहुत भर्ती निकाली थी और उन्हें अच्छी सैलेरी भी दी थी। ऐसे में जो लोग पहले से उन कंपनियों में काम कर रहे थे, उन्हें कुछ खास फायदा नहीं हुआ और न ही उन्हें उनकी वफादारी की कंपनी द्वारा कीमत मिली है। 

गार्टनर मानव संसाधन प्रैक्टिस के वरिष्ठ प्रिंसिपल टोनी गुआडाग्नी ने एक बयान में कहा, “वेतन की बराबरी को लेकर कर्मचारी की धारणा वास्तव में वेतन से जुड़ी नहीं है. बल्कि, इस धारणा के पीछे का मुख्य कारण भरोसा है। जब कर्मचारी अपने नियोक्ता पर भरोसा नहीं करता है तो उन्हें लगता है कि उनकी सैलरी न्यायसंगत नहीं है।” 

सैलेरी पर कम जानकारी है

आपको बता दें कि इस सर्वे में 3200 से भी ज्यादा लोगों को शामिल किया गया था जिसमें 1/3 से भी कम लोगों को इस बारे में कोई जानकारी है कि उनकी कंपनी उनकी आय की समानता के लिए कुछ कर रही है। यही नहीं इस सर्वे में यह भी साफ हुआ है कि केवल पांच लोगों में से दो ही लोगों को इस बारे में जानकारी है कि उनकी सैलेरी किस बेस पर तय की गई है।  

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