नीति आयोग ने जरूतमंदों को सस्ते अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये दिये नीतिगत सुझाव

By भाषा | Updated: April 1, 2021 17:33 IST2021-04-01T17:33:58+5:302021-04-01T17:33:58+5:30

NITI Aayog gave policy suggestions to ensure availability of cheap food grains to the needy | नीति आयोग ने जरूतमंदों को सस्ते अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये दिये नीतिगत सुझाव

नीति आयोग ने जरूतमंदों को सस्ते अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये दिये नीतिगत सुझाव

नयी दिल्ली, एक अप्रैल नीति आयोग ने खाद्य मंत्रालय को खाद्य सब्सिडी को लेकर नीतिगत सुझाव दिये हैं। इसमें केंद्र सरकार के राजकोषीय संसाधनों पर दबाव बढ़ाये बिना जरूरतमंदों तक सस्ती दर पर अनाज की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न परिदृश्यों की परिकल्पना की गयी है। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने यह जानकारी दी है।

मंत्रालय ने कुछ राज्यों में बढ़ती आबादी के साथ सब्सिडी वाले खाद्यान्न की बढ़ती मांग के बीच नीति आयोग से सुझाव मांगा था। आयोग ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, 2013 को ध्यान में रखते हुए परिदृश्य तैयार किये हैं।

आयोग के सदस्य (कृषि) रमेश चंद ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘खाद्य मंत्रालय ने हमसे कहा कि राज्य खाद्यान्न आबंटन बढ़ाने के लिये कह रहे हैं। इसका कारण सभी राज्यों में आबादी का बढ़ना है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘...मंत्रालय ने यह चिंता जतायी कि खाद्य संब्सिडी काफी तीव्र गति से बढ़ रही है। इसीलिए, हमें आखिर किस प्रकार के नीतिगत उपाय करने चाहिए, जिससे खाद्य सब्सिडी बढ़े नहीं और वह दायरे में बनी रहे।’’

हालांकि, चंद ने कहा कि खाद्य मंत्रालय ने यह नहीं कहा कि वह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) 2013 के तहत सब्सिडी युक्त खाद्यान्न का दायरा घटाना चाहता है।

एनएफएसए 2013 में पारित हुआ। इसके तहत 75 प्रतिशत तक ग्रामीण आबादी और 50 प्रतिशत तक शहरी आबादी को राशन की दुकानों से सस्ती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार इस कानून के दायरे में आने वाले लोगों की संख्या 81.35 करोड़ है। कुल मिलाकर एनफएसए के तहत 67 प्रतिशत आबादी को सस्ता खाद्यान्न मिल रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए नीति आयोग ने विभिन्न परिदृश्य तैयार किये है। इसमें एक स्थिति यह है कि आप दो तिहाई लोगों (67 प्रतिशत आबादी) को सस्ता खाद्यान्न उपलब्ध कराते रहे।’’

चंद ने कहा, ‘‘अगर आपको लगता है कि 2013 और 2021 के बीच प्रति व्यक्ति आय 40 से 50 प्रतिशत बढ़ी है, तब निश्चित रूप से कई लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरी है। इसीलिए, हम केवल इस नजरिये से इसे देखते हैं।’’

नीति आयोग सदस्य के अनुसार दूसरी स्थिति यह है कि अगर एनएफएसए के तहत आने वाले लोगों की संख्या कम की जाए तो इसका क्या प्रभाव होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘अत: हमने इस बारे में केवल परिदृश्य तैयार करने का प्रयास किया। ऐसा नहीं है कि हमने कोई सिफारिश की है।’’

चंद ने कहा कि बैठक में मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमणियम ने सुझाव दिया था कि नीति आोग जो प्रस्ताव दे, उसके पीछे वाजिब तर्क भी देना चाहिए। यानी यह भी बताना चाहिये कि ऐसी स्थिति को क्यों स्वीकार किया जाना चाहिए।

ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य सब्सिडी 2020-21 के संशोधित अनुमान में बढ़कर 4,22,618.14 करोड़ रुपये पर पहुंच गयी जो बजटीय अनुमान में 1,15,569.68 करोड़ रुपये थी। एक अप्रैल से शुरू नये वित्त वर्ष के लिये खाद्य सब्सिडी 2,42,836 करोड़ रुपये अनुमानित है।

यह पूछे जाने पर कि आर्थिक समीक्षा 2021 में यह सुझाव दिया गया है कि सरकार को राशन की दुकानों से बिकने वाले अनाज के दाम बढ़ाने चाहिए, उन्होंने कहा कि 2013 से 2021 के दौरान कई फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़े हैं। कुछ मामलों में दोगुने हो गये हैं।

चंद ने कहा, ‘‘दो रुपये का मूल्य जो 2013 में था वह अब नहीं है। आठ साल में 2 रुपये का मूल्य 5 या 6 रुपये हो गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘....जब हमारे पास राज्यों के जरिये जरूरी मानदंडों को लेकर आंकड़े हैं और सामाजिक आर्थिक जातिगत जनणना (एसईसीसी) जैसे कुछ आंकड़े भी हैं... हम इस अभियान को अंतिम रूप देंगे।’’

उल्लेखनीय है कि राशन की दुकानों के जरिये 3 रुपये किलो चावल और 2 रूपये किलो गेहूं उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा मोटा अनाज 1 रुपये किलो उपलब्ध कराया जाता है।

गेहूं और चावल के दाम को 2013 के बाद से संशोधित नहीं किया गया है। हालांकि, आर्थिक लागत हर साल बढ़ रही है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: NITI Aayog gave policy suggestions to ensure availability of cheap food grains to the needy

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे