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एनसीएलटी ने जी-इनवेस्को मामले पर सुनवाई आठ अक्टूबर तक टाली

By भाषा | Updated: October 7, 2021 17:44 IST

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मुंबई, सात अक्टूबर राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने बृहस्पतिवार को इनवेस्को की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी, जिसमें उसने जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (जी लि.) के शेयरधारकों की बैठक बुलाने का कंपनी को निर्देश देने का आग्रह किया है।

राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने कहा कि वह इस मामले में आज ही आदेश पारित करेगा, जिसके बाद एनसीएलटी की सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टाल दी गई।

इनवेस्को द्वारा जी लि. की असाधारण आम बैठक (ईजीएम) बुलाने की मांग को लेकर दायर याचिका की सुनवाई एनसीएलटी कर रही है, जबकि जी लि. याचिका का जवाब देने के लिए अधिक समय की मांग करते हुए अपीलीय न्यायाधिकरण में चली गई।

एनसीएलटी ने पांच अक्टूबर को इनवेस्को की याचिका पर जी लि. से उसे सात अक्टूबर तक जवाब देने के लिए कहा था, हालांकि जी लि. इसके खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण में चली गई।

इनवेस्को ने ओएफआई ग्लोबल चाइना फंड के साथ याचिका दायर की थी। एनसीएलएटी ने इनवेस्को को जवाब देने के लिए और समय की मांग करने वाली जी लि. की याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद कहा कि वह बृहस्पतिवार को ही इस संबंध में आदेश जारी करेगा।

इसके करीब एक घंटे बाद जब एनसीएलटी में सुनवाई शुरू हुई तो कार्रवाई को शुक्रवार के लिए स्थगित कर दिया गया।

एनसीएलटी की भास्कर पंतुला मोहन और नरेंद्र कुमार भोला की मुंबई पीठ ने कहा, ‘‘... हम एनसीएलएटी का सम्मान करते हैं और हम कल मामले की सुनवाई करेंगे।’’

इनवेस्को का कहना है कि ईजीएम की मांग का सम्मान करना जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड का ‘‘अनिवार्य कर्तव्य’’ है, क्योंकि कंपनी में उसकी संयुक्त रूप से 18 प्रतिशत हिस्सेदारी है और कानून के अनुसार ईजीएम बुलाने की मांग के लिए न्यूनतम 10 प्रतिशत शेयरधारिता जरूरी है।

जी लि. में अल्पांश शेयरधारकों इनवेस्को और ओएफआई ग्लोबल चाइना फंड ने कंपनी के प्रबंध निदेशक पुनीत गोयनका को हटाने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए ईजीएम बुलाने की मांग की है।

इनवेस्को डेवलपिंग मार्केट्स फंड (पूर्व में इनवेस्को ओपनहेइमेर डेवलपिंग मार्केटिंग्स फंड) की ओएफआई ग्लोबल चाइना फंड के साथ जी लि. में 17.88 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

पिछले सप्ताह जी लि. के बोर्ड ने दोनों कंपनियों की मांग को "अवैध एवं गैरकानूनी" बताते हुए खारिज कर दिया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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