जाड़े की मांग से सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन दाना में सुधार, मूंगफली में गिरावट

By भाषा | Updated: November 12, 2021 19:46 IST2021-11-12T19:46:45+5:302021-11-12T19:46:45+5:30

Mustard oil-oilseeds, soybean grain improve due to winter demand, fall in groundnut | जाड़े की मांग से सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन दाना में सुधार, मूंगफली में गिरावट

जाड़े की मांग से सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन दाना में सुधार, मूंगफली में गिरावट

नयी दिल्ली, 12 नवंबर जाड़े की मांग बढ़ने और सरसों की उपलब्धता घटने से देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में सरसों तेल-तिलहन और सोयाबीन दाना (तिलहन) के भाव सुधार के साथ बंद हुए जबकि मूंगफली की नयी फसल मंडियों में आने के बीच इसके भाव में गिरावट आई। सीपीओ और पामोलीन के भाव ऊंचा होने से इनके लिवाल कम हुए हैं जिससे इनके तेलों के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। बाकी तेल-तिलहनों के भाव भी पूर्वस्तर पर बने रहे।

बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में 1.1 प्रतिशत की तेजी रही। शिकॉगो एक्सचेंज में 0.6 प्रतिशत की गिरावट है। उन्होंने कहा कि खुदरा तेल मिलवालों की सरसों की मांग बढ़ रही है तथा सलोनी शम्साबाद ने इसका दाम 9,000 रुपये से बढ़ाकर 9,100 रुपये क्विंटल कर दिया है जिससे इसके तेल-तिलहन कीमतों में तेजी आई। उन्होंने कहा कि जाड़े में हरी सब्जियों के लिए सरसों की मांग बढ़ने लगी है और अब सरसों का बचा खुचा 10-12 प्रतिशत का स्टॉक किसानों के पास ही रह गया है।

उन्होंने कहा कि सोयाबीन की प्लांट वालों की मांग है और किसान अपनी फसल नीचे भाव पर बेचने को राजी नहीं हैं इसलिए मंडियों में आवक कम है और इसी वजह से सोयाबीन दाना और लूज के भाव में सुधार है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा शिकॉगो एक्सचेंज में गिरावट के रुख से सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट आई।

सूत्रों ने कहा कि नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते जो खाद्य तेलों का आयात हो रहा था वह देश में आयात शुल्क घटने के बाद महंगा सौदा बैठ रहा है और उम्मीद है कि इन देशों के रास्ते आयात 10-15 दिनों में बिल्कुल रुक जायेगा। इसकी वजह है कि आयात शुल्क काफी कम हो गया है और खाद्य तेल लाने का खर्च 10 प्रतिशत होने से इसका आयात अब लाभप्रद नहीं रह गया है। जो सौदे पहले किये जा चुके थे वह अगले 10-15 दिनों तक पूरे होंगे और इन देशों के रास्ते आयात बिल्कुल रुक सकता है।

सूत्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश की तरह ही सरकार को बिहार, उत्तराखंड जैसे सीमावर्ती राज्यों में भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से खाद्य तेल उपलब्ध कराने पर विचार करना चाहिये।

सूत्रों ने कहा कि सूरजमुखी और चावल छिलका तेल के दाम पामोलीन से कम हैं फिर बाजार में यह महंगा कैसे बिक रहा है, इसकी निगरानी की जानी चाहिये। मूंगफली तेल भी सस्ता होने के बावजूद बाजार में महंगा कैसे बिक रहा है इस पर नजर रखने की जरूरत है।

बाकी तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित रहे।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन - 8,630 - 8,655 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली - 5,950 - 6,035 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 13,400 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 1,965 - 2,090 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 17,350 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,655 -2,695 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,745 - 2,855 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 16,700 - 18,200 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,350 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,000 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,750

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,100 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,900 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,750 रुपये।

पामोलिन एक्स- कांडला- 11,680 (बिना जीएसटी के)।

सोयाबीन दाना 5,625 - 5,700, सोयाबीन लूज 5,500 - 5,550 रुपये।

मक्का खल (सरिस्का) 3,825 रुपये।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Mustard oil-oilseeds, soybean grain improve due to winter demand, fall in groundnut

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे