नई दिल्ली, 17 सितंबरः मोदी सरकार ने बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक और देना बैंक का विलय करने का बड़ा फैसला किया है। सोमवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की। जेटली ने कहा, 'पिछले कुछ सालों से सार्वजनिक बैंक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। 2008 से 2014 के दौरान अकूत लोन बांटे गए। मानों जैसे कल वापस करना ही नहीं होगा। इससे इकोनॉमी में अवरोध पैदा हुआ है।' उन्होंने कहा कि एनपीए का खेल पर्दे के पीछे हुआ इसलिए उस वक्त सही तस्वीर लोगों के सामने नहीं आई। गौरतलब है कि संचालन लागत के मुकाबले मुनाफा नहीं हो रहा इसलिए सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय करना चाहती है।
वित्तीय सेवाओं के सचिव राजीव कुमार ने कहा कि देना बैंक, विजया बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा का विलय होने से यह देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा। उन्होंने एक ट्वीट करके इसके फायदे गिनाए।
1. विलय से बना नया बैंक देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा। 2. आर्थिक पैमानों पर यह मजबूत प्रतिस्पर्धी बैंक होगा। 3. इसमें तीनों बैंकों के नेटवर्क्स एक हो जाएंगे, डिपॉजिट्स पर लागत कम होगी और सब्सिडियरीज में सामंजस्य होगा। 4. इससे ग्राहकों की संख्या, बाजार तक पहुंच और संचालन कौशल में वृद्धि होगी। साथ ही, ग्राहकों को ज्यादा प्रॉडक्ट्स और बेहतर सेवा ऑफर किए जा सकेंगे। 5. विलय के बाद भी तीनों बैंकों के एंप्लॉयीज के हितों का संरक्षण किया जाएगा। 6. बैंकों की ब्रैंड इक्विटी सुरक्षित रहेगी। 7. तीनों बैंकों को फिनैकल सीबीएस प्लैटफॉर्म पर लाया जाएगा। 8. नए बैंक को पूंजी दी जाएगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि हम दो बैंको को एक कमजोर बैंक के साथ विलय करने पर विचार कर रहे हैं। लेकिन इस बात का भी पूरा ध्यान रखेंगे कि इस दौरान ग्राहकों को दी जाने वाली सेवाओं पर कोई असर ना पड़े। ये फैसला ऑल्टरनेट मैकेनिज्म के तहत लिया गया है।