शराब उद्योग की राज्यों से अपील, संक्रमण मुक्त क्षेत्रों में बिक्री के लिये केंद्र को राजी करें

By भाषा | Published: April 23, 2020 06:17 PM2020-04-23T18:17:35+5:302020-04-23T18:17:35+5:30

कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (सीआईएबीसी) ने कहा कि लॉकडाउन के कारण अभी तक राज्यों को करीब 20 हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो चुका है। संगठन ने राज्य सरकारों तथा केंद्र सरकार से सुरक्षा एवं बचाव के सभी मानकों का कड़ाई से पालन करते हुए शराब की दुकानों को खोलने की मंजूरी देने की मांग की है।

Liquor industry appeals to states, persuade center for sale in transition-free areas | शराब उद्योग की राज्यों से अपील, संक्रमण मुक्त क्षेत्रों में बिक्री के लिये केंद्र को राजी करें

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsलॉकडाउन के कारण अभी तक राज्यों को करीब 20 हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो चुका है।कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण की रोकथाम के लिये देश भर में लॉकडाउन (बंद) लागू है।

नई दिल्ली: शराब बनाने वाली कंपनियों के संगठन ने लॉकडाउन के कारण हो रहे भारी आर्थिक नुकसान तथा छंटनी का हवाला देकर राज्य सरकारों से संक्रमण मुक्त क्षेत्रों में तत्काल शराब की बिक्री शुरू करने के लिये केंद्र सरकार को राजी करने की अपील की है। कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (सीआईएबीसी) ने कहा कि लॉकडाउन के कारण अभी तक राज्यों को करीब 20 हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो चुका है। संगठन ने राज्य सरकारों तथा केंद्र सरकार से सुरक्षा एवं बचाव के सभी मानकों का कड़ाई से पालन करते हुए शराब की दुकानों को खोलने की मंजूरी देने की मांग की है। कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण की रोकथाम के लिये देश भर में लॉकडाउन (बंद) लागू है।

पहले बंद की समयसीमा 14 अप्रैल को समाप्त हो रही थी, लेकिन अब इसे तीन मई तक के लिये बढ़ा दिया गया है। इस दौरान सिर्फ जरूरी सेवाओं को ही परिचालन की छूट दी गयी है। संगठन ने शराब पर स्थायी प्रतिबंध लगा चुके राज्यों को छोड़ अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इस बारे में एक पत्र भेजा। संगठन ने पत्र में कहा, ‘‘राज्य सरकारों को एक बार फिर से केंद्र सरकार के समक्ष यह मुद्दा उठाना चाहिये कि कोविड-19 से सुरक्षा एवं बचाव के तमाम उपायों पर अमल करते हुए संक्रमण से मुक्त इलाकों में शराब के उत्पादन, वितरण और बिक्री की मंजूरी दी जाये।’’ पत्र में कहा गया, ‘‘संवैधानिक तौर पर शराब राज्यों का मामला है। अत: शराब की बिक्री को मंजूरी देने या नहीं देने के बारे में निर्णय करना पूरी तरह से राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है।’’

संगठन ने कहा कि कोरोना वायरस के संकट को देखते हुए शराब उद्योग में भविष्य में लोगों के बीच परस्पर दूरी बनाये रखना सुनिश्चित करने के लिये व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है। इसके लिये उत्पादन संयंत्रों, भंडारण केंद्रों तथा ढुलाई के दौरान तकनीक पर आधारित नियंत्रण की व्यवस्था पर राज्यों सरकारों को गौर करना चाहिये। उसने कहा कि आने वाले समय में शराब की बिक्री के ऐसे माध्यमों पर विचार किया जा सकता है, जिनमें भीड़ लगने की गुंजाइश नहीं हो। इसके लिये अलग से पोर्टल बनाकर या सरकारी बेवसाइट के जरिये शराब की ऑनलाइन बिक्री की जा सकती है।

सीआईएबीसी के महानिदेशक विनोद गिरी ने कहा, ‘‘लॉकडाउन शुरू होने के बाद यह दूसरी बार है, जब हमने राज्य सरकारों को पत्र लिखकर उन्हें शराब की बिक्री शुरू करने के लिये केंद्र सरकार को राजी करने की अपील की है। हमारा उद्योग राज्यों के लिये राजस्व का प्रमुख स्रोत है। हमारे उद्योग में 20 लाख लोगों को रोजगार मिलता है तथा 40 लाख किसानों की आजीविका इस पर निर्भर है। अभी की स्थिति में जब हमारी आय शून्य हो गयी है, हम अधिक समय तक खड़े नहीं रह सकते हैं। इससे व्यापक स्तर पर लोग बेरोजगार होंगे और भारी आर्थिक नुकसान होगा। सरकारों को तत्काल शराब की बिक्री और वितरण की मंजूरी देने की जरूरत है।’’

संगठन के अनुसार, शराब उद्योग सरकार को सालाना करीब दो लाख करोड़ रुपये का राजस्व देता है। शराब पर लगने वाले करों से राज्य सरकारों को कर से प्राप्त कुल आय का 20 से 40 प्रतिशत हिस्सा मिलता है। इसकी बिक्री को रोक कर सरकार खुद ही आय का बड़ा स्रोत बंद कर रही है। उल्लेखनीय है कि कई राज्य सरकारें शराब की बिक्री शुरू करने के पक्ष में हैं। उन्होंने गृह मंत्रालय के समक्ष यह मुद्दा भी उठाया है। पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक और दिल्ली की सरकारें इस बारे में अधिक मुखर हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शराब की बिक्री शुरू करने के बारे में कुछ ही दिन पहले केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। दिल्ली और महाराष्ट्र की सरकारें शराब की ऑनलाइन बिक्री और होम डिलिवरी पर जोर दे रही हैं। 

Web Title: Liquor industry appeals to states, persuade center for sale in transition-free areas

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