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टिकाऊ खेती तौर तरीके को चार प्रतिशत से भी कम किसानों ने अपनाया: अध्ययन

By भाषा | Updated: April 20, 2021 22:53 IST

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नयी दिल्ली, 20 अप्रैल ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) के एक अध्ययन के अनुसार चार प्रतिशत से भी कम भारतीय किसानों ने स्थायी खेती के तौर तरीकों और प्रणालियों को अपनाया है।

खाद्य और भूमि उपयोग गठबंधन (एफओएलयू) द्वारा समर्थित अध्ययन में पाया गया है कि जलवायु के असंतुलन वाले भविष्य में खेती की आय में सुधार और भारत की पोषण सुरक्षा को बढ़ाने के लिए टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना काफी महत्वपूर्ण होगा। आंध्र प्रदेश और सिक्किम जैसे राज्यों ने पहले ही टिकाऊ खेती के मामले में अगुवाई की हुई है।

टिकाऊ खेती के बारे में बोलते हुए, नीति आयोग के उपाध्यक्ष, राजीव कुमार ने कहा, ‘‘सतत् कृषि को अपनाने से न केवल किसानों को बेहतर आय मिल सकती है, बल्कि कई पर्यावरणीय लाभ भी हो सकते हैं।’’

उन्होंने कहा कि वर्तमान कृषि पद्धतियों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा ध्यान भारत में टिकाऊ कृषि, विशेष रूप से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर है। इससे छोटे और सीमांत किसानों को लाभ होगा।’’

उन्होंने कहा कि यह देश के सूखे क्षेत्रों में भी उपयुक्त है क्योंकि इसमें कम पानी की आवश्यकता होती है।

यह कहते हुए कि भारत को मुख्य धारा में टिकाऊ कृषि की आवश्यकता है, सीईईडब्ल्यू के सीईओ अरुणाभ घोष ने कहा, ‘‘हमें एक बुनियादी पुनर्विचार की आवश्यकता है कि हम खाद्यान्न कैसे उगाते हैं और हम क्या खाते हैं।’’

टिकाऊ कृषि में किसानों के भोजन के स्रोतों और आय में विविधता लाने में मदद करने, खेती को जलवायु सहने लायक बनाने, प्राकृतिक संसाधन के महत्तम इस्तेमाल एवं पारिस्थितिकी का पुननिर्माण करने की क्षमता है।

सीईईडब्ल्यू के अध्ययन के अनुसार, जैविक खेती ने विभिन्न केंद्र सरकार के कार्यक्रमों के तहत बजटीय समर्थन प्राप्त करने वाली आठ स्थायी कृषि प्रथाओं के बीच सबसे अधिक नीतिगत ध्यान आकर्षित किया है।

हालांकि, मौजूदा समय में ऐसी खेती के विभिन्न तौर तरीकों के दायरे में केवल 28 लाख हेक्टेयर - या भारत के कुल बुवाई क्षेत्र यानी 14 करोड़ हेक्टेयर का दो प्रतिशत ही आता है।

प्राकृतिक खेती भारत में सबसे तेजी से बढ़ती टिकाऊ कृषि पद्धति है और इसे लगभग 8,00,000 किसानों ने अपनाया है।

यह अध्ययन जैविक कृषि, प्राकृतिक खेती, एकीकृत कृषि प्रणाली और संरक्षण कृषि जैसी 16 स्थायी कृषि प्रथाओं और प्रणालियों की गहन समीक्षा पर आधारित है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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