ITR:इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों के लिए जुलाई का आखिरी हफ्ता बहुत महत्वपूर्ण है। अब से बस चार दिन बाद आईटीआर फाइलिंग की आखिरी तारीख है और इसके बाद ये सुविधा खत्म हो जाएगी। ऐसे में आयकर रिटर्न भरने वाले तेजी से अपना रिटर्न फाइल कर रहे हैं।
31 जुलाई से पहले आईटीआर दाखिल करने की होढ़ में कुछ लोग गलतियां कर रहे हैं और इससे वो परेशान हो रहे हैं। हालांकि, अगर आप कुछ गलतियों के साथ आईटीआर दाखिल करते हैं और नियत तारीख से पहले इसे सुधारने में विफल रहते हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है।
टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि आप तय तारीख के बाद भी संशोधित रिटर्न दाखिल करके आईटीआर की गलतियों को सुधार सकेंगे। कैसे कर सकते हैं लास्ट डेट के बाद भी सुधार?
- दरअसल, आईटी अधिनियम की धारा 139(5) के तहत एक व्यक्ति जो मूल आईटीआर में कोई चूक या कोई गलत विवरण पाता है तो वह संशोधित रिटर्न दाखिल करने के लिए पात्र होगा।
- इसके अलावा, ऐसा संशोधित रिटर्न प्रासंगिक मूल्यांकन वर्ष के अंत से तीन महीने पहले (यानी, निर्धारण वर्ष 2023-24 के लिए 31 दिसंबर 2023) या मूल्यांकन पूरा होने से पहले, जो भी पहले हो, दाखिल किया जा सकता है।
- ऐसे आयकर रिटर्न वाले करदाता जो कुछ निर्देशित शर्तों और आईटी अधिनियम की धारा 140बी के तहत अतिरिक्त कर के भुगतान के अधीन, मूल्यांकन वर्ष के अंत से 24 महीने के भीतर आईटी अधिनियम की धारा 139 (8ए) के तहत अद्यतन रिटर्न दाखिल करने पर भी विचार कर सकते हैं।
हालाँकि, ऐसा अद्यतन रिटर्न उन मामलों में दाखिल नहीं किया जा सकता है जहाँ ऐसा अद्यतन रिटर्न हानि रिटर्न है या यदि कोई खोज, सर्वेक्षण कार्यवाही आदि शुरू की गई है।
आईटीआर दाखिल करने वालों से होती हैं ये कॉमन गलतियां
अपना रिटर्न दाखिल करते समय करदाता अक्सर कुछ सामान्य गलतियां कर बैठते हैं। खासकर के वो लोग जो व्यक्तिगत रूप से अपना आयकर रिटर्न फाइल करते हैं।
1- गलत आईटीआर फॉर्म चुनना: कई बार करदाता अपने लिए आईटीआर फॉर्म को चुनते समय पात्रता के मानदंड को नहीं समझ पाते और गलत फॉर्म चुन लेते हैं। जिससे रिटर्न को दोषपूर्ण माना जाएगा या आईटीआर पूरी तरह से अमान्य हो जाएगा।
2- व्यक्तिगत विवरण गलत भरना: करदाता गलत पैन, आधार और पत्राचार विवरण प्रस्तुत कर सकता है। या बैंक विवरण देते समय गलत बैंक खाता संख्या और आईएफएससी कोड प्रदान करें जिससे आयकर रिफंड में देरी हो सकती है।
3- विदेशी इनकम या छूट की आय का विवरण न देना: कई लोग करदाता छूट प्राप्त आय या गैर-कर योग्य आय का खुलासा करने में विफल हो सकते हैं।
इसके अलावा, निवासी और सामान्य निवासी होने के नाते करदाता किसी भी विदेशी देश से अर्जित आय की रिपोर्ट करने में विफल हो सकता है क्योंकि उस पर कर का भुगतान संबंधित विदेशी देश में किया गया है।
4- अपने बैंक खाते का प्री वैलिडेशन: करदाता अपने नाम, मोबाइल नंबर और पैन का उपयोग करके अपने बैंक खातों को पूर्व-सत्यापित(प्री वैलिडेशन) करना भूल सकते हैं, जिससे आयकर रिफंड प्राप्त होने में भी देरी हो सकती है।
5- फॉर्म 26एएस और एआईएस के बीच बेमेल: करदाता फॉर्म 26एएस को एआईएस और फॉर्म 16/फॉर्म 16ए के साथ मिलाना भूल सकता है और इस तरह उनमें किसी भी विसंगति को नजरअंदाज कर सकता है। इसके अलावा, वर्ष के दौरान नौकरी बदलने वाले करदाता कभी-कभी अपने पिछले नियोक्ता द्वारा जारी किए गए फॉर्म 16 को ध्यान में रखने में विफल हो सकते हैं।
6- इसके अलावा, करदाता अपने पूंजीगत लाभ की गणना करते समय गलतियाँ कर सकते हैं क्योंकि ऐसे पूंजीगत लाभ का उपचार पूंजीगत संपत्ति के प्रकार, कर की दर, होल्डिंग की अवधि और उस पर लागू अन्य शर्तों के आधार पर भिन्न होता है।
7- करदाता आयकर रिफंड पर प्राप्त ब्याज को 'अन्य स्रोतों से आय' के अंतर्गत शामिल करने में भी विफल हो सकते हैं। साथ ही, यह भी देखा गया है कि वेतनभोगी करदाता अपने द्वारा धारित विदेशी समूह कंपनियों के ईएसओपी के विवरण को शेड्यूल फॉरेन एसेट्स में रिपोर्ट करने में विफल रहते हैं।