अमेरिका में इंफोसिस की बढ़ी मुश्किलें! उम्र और लिंग भेदभाव को लेकर कंपनी के खिलाफ मुकदमा हुआ दर्ज

By आजाद खान | Updated: October 9, 2022 12:58 IST2022-10-09T12:11:40+5:302022-10-09T12:58:41+5:30

मुकदमा दर्ज करने वाले जिल प्रेजीन का कहना है कि उन्होंने यह केस बदले की भावना से उन्हें कंपनी से निकालने और इस तरीके से काम करने वाले जगह से शत्रुतापूर्ण माहौल को खत्म करने के लिए किया है।

Infosys troubles increased in America Case filed against company for age and gender discrimination | अमेरिका में इंफोसिस की बढ़ी मुश्किलें! उम्र और लिंग भेदभाव को लेकर कंपनी के खिलाफ मुकदमा हुआ दर्ज

अमेरिका में इंफोसिस की बढ़ी मुश्किलें! उम्र और लिंग भेदभाव को लेकर कंपनी के खिलाफ मुकदमा हुआ दर्ज

Highlightsअमेरिका में आईटी कंपनी इन्फोसिस पर मुकदमा दर्ज हुआ है।यह मुकदमा उम्र और जेंडर को लेकर कंपनी द्वारा किए गए भेदभाव के खिलाफ हुआ है। ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि कंपनी ने ऐसा कर न्यूयॉर्क सिटी ह्यूमन राइट कानून को भी तोड़ा है।

वाशिंगटन डीसी:अमेरिका में इन्फोसिस पर उम्र और लिंग को लेकर भेदभाव का आरोप लगा है। इस मामले में एक पूर्व वरिष्ठ कर्मचारी द्वारा इन्फोसिस पर एक बार फिर से मुकदमा दर्ज किया गया है। 

मुकदमे में यह आरोप लगाए गए है कि जब कंपनियों को वहां हो रहे उम्र और लिंग के भेदभाव को बताया गया तो उसके साथ भेदभाव किया गया और बदले की कार्रवाई भी हुई है। यह भी कहा गया है कि इस तरीके से कंपनी ने न्यूयॉर्क सिटी ह्यूमन राइट कानून को भी तोड़ा है। 

क्या है पूरा मामला

वरिष्ठ उपाध्यक्ष (टैलेंट एक्विजिशन) जिल प्रेजीन द्वारा दायर एक मुकदमें में यह कहा गया है कंपनी ने उम्र और जेंडर को लेकर भेदभाव किया है। ऐसे में जब उसने इस तरीके के पक्षपातपूर्ण प्रक्रियाओं के खिलाफ आवाज उठाया तो कंपनी द्वारा उत्पीड़न भी किया गया। 

जिल प्रेजीन ने यह भी कहा कि उसने यह मुकदमा इसलिए किया है ताकि बदले की भावना के साथ उसका जो टर्मिनेशन हुआ है, उसे वापस लिया जाए और काम करने वाले जगह से इस तरीके के शत्रुतापूर्ण माहौल को दूर किया जा सके। 

ऐसे लोगों के साथ हुआ है भेदभाव

पूर्व वाइस प्रेसिडेंट (टैलेंट एक्विजिशन) जिल प्रेजियन ने इन्फोसिस, परामर्श प्रमुख और वरिष्ठ उपाध्यक्षस मार्क लिविंगस्टन तथा डैन अलब्राइट ऐंड जेरी कर्ट्ज के पूर्व साझेदारों के ​खिलाफ यह मुकदमा दर्ज किया गया है।

जिल प्रेजियन की माने तो कंपनी ने भारतीय मूल के सलाहकारों, बच्चों वाली महिलाओं और 50 वर्ष के आसपास या इससे अधिक उम्र वाले उम्मीदवारों को नियुक्त में कोई रूची नहीं दिखाई है। इस बात का पता तब उन्हें चला जब वे इन्फोसिस के साझेदारों के साथ बैठकें की ताकि वे वहां के कामकाज को सही तरीके से समझ सके। 

इससे पहले भी घट चुकी है ऐसी घटनाएं

आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है कि इस तरीके से भारतीय किसी कंपनी पर मुकदमा दर्ज किया गया है। इससे पहले साल 2020 में डैविना लिंग्विस्ट ने इन्फोसिस के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। डैविना लिंग्विस्ट ने यह आरोप लगाया था कि कंपनी के खिलाफ गवाही देने के लिए उन्हें निकाला गया था। 

यही नहीं 2017 में जे पाल्मर ने कंपनी पर यह आरोप लगाया था कि इन्फोसिस ने एच-1 बी के बजाय बी-1 वीजा देकर लोगों को काम पर रखा था। ऐसे में टीसीएस और ​विप्रो पर भी मुकदमा दर्ज हो चुका है। 

Web Title: Infosys troubles increased in America Case filed against company for age and gender discrimination

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