नयी दिल्ली, 23 अप्रैल 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत की कर राजस्व क्षमता जीडीपी के चार प्रतिशत तक कम है और देश को राजस्व प्रबंधन प्रणाली में गहरे सुधारों की जरूरत है।
उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों के लिए एक प्रोत्साहन तंत्र पर काम करने की जरूरत है ताकि उनकी नीतियों को केंद्र सरकार से जोड़ा जाए।
सिंह ने सीएसईपी-आईएमएफ द्वारा आयोजित कार्यक्रम - ‘संवहनीय वित्त सुरक्षित करना और मध्यम अवधि का राजकोषीय ढांचा: अंतरराष्ट्रीय अनुभव और भारत के लिए प्रासंगिकता’ में कहा कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों को फिर से तैयार करने और राजस्व प्रणाली में गहन सुधार लाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में राजस्व के संदर्भ में कम से कम जीडीपी का चार प्रतिशत नदारद है और यदि इसका कुछ हिस्सा भी वसूल हो जाए तो वह महामारी, स्वास्थ्य संबंधी अपरिहार्य जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा। इससे स्वस्थ विकास और मध्यावधि में राजकोषीय नीति के बीच तालमेल भी स्थापित होगा।’’
इस मौके पर आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन ने कहा कि वित्त आयोग की गणना के अनुसार हम अपनी कर क्षमता से लगभग (जीडीपी के) चार प्रतिशत पीछे हैं। यह बड़ा मायने रखता है क्यों कि यह केंद्र तथा राज्यों द्वारा जुटाए जाने वाले कर का लगभग 25 प्रतिशत है।
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