भारत को ब्याज दर में कटौती पर निर्भर रहे बिना वृद्धि हासिल करनी चाहिये: आचार्य

By भाषा | Updated: December 9, 2020 23:03 IST2020-12-09T23:03:09+5:302020-12-09T23:03:09+5:30

India should achieve growth without relying on interest rate cuts: Acharya | भारत को ब्याज दर में कटौती पर निर्भर रहे बिना वृद्धि हासिल करनी चाहिये: आचार्य

भारत को ब्याज दर में कटौती पर निर्भर रहे बिना वृद्धि हासिल करनी चाहिये: आचार्य

मुंबई, नौ दिसंबर रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने बुधवार को कहा कि केन्द्रीय बैंक को मुद्रास्फीति को विनिर्दिष्ट सीमा में रखने का दायित्व हल्का करने से गरीबों की परेशानी बढ़ेगी। उन्होंने महंगाई दर को चार प्रतिशत के आस पास सीमित रखने के वर्तमान दायित्व को एक तर्कसंगत लक्ष्य बताया।

आचार्य ने रिजर्व बैंक से डिप्टी गवर्नर के पद से तय समय से पहले ही पिछले साल इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा कि भारत को ऐसे रास्ते तलाशने होंगे जिसमें उसे आसान रिण और सरल तरलता जैसे उपायों के बजाय संरचनात्मक तरीके से वृद्धि को बढ़ाना चाहिये।

यहां यह गौर करने वाली बात है कि रिजर्व बैंक के लिये तय चार प्रतिशत मुद्रास्फीति के लक्ष्य को संशोधित करके यदि कुछ बढ़ाया जाता है तो केन्द्रीय बैंक के लिये आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये दरों में कटौती करने में मदद मिल सकती है। रिजर्व बैंक ने आने वाले समय में मुद्रास्फीति के और ऊपर जाने के डर से पिछले सप्ताह की गई मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दर के मामले में यथास्थिति बनाये रखी। जीडीपी के गिरावट के रुख में रहने के बावजूद रिजर्व बैक ने लगातार तीसरी द्विमासिक समीक्षा में यह स्थिति बनाये रखी।

दिन में इससे पहले इस तरह की रिपोर्ट थी कि सरकार रिजर्व बैंक के लिये मुद्रास्फीति लक्ष्य में कुछ और ढील देने पर विचार कर रही है।

आचार्य ने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि वह इसको लेकर कितने गंभीर हैं। मेरा मानना है कि मुद्रास्फीति के लक्ष्य को चार प्रतिशत रखने को लेकर उर्जित पटेल समिति की रिपोर्ट में सभी तरह के जमीनी कार्य किये गये होंगे जिससे वह इस नतीजे पर पहुंची की मुद्रास्फीति का तर्कसंगत लक्ष्य क्या होना चाहिये।’’

आचार्य नेशनल स्टॉक एक्सचेंज द्वारा यहां आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जो इस बात पर जोर दे रहे हैं कि मुद्रास्फीति लक्ष्य को बढ़ाकर छह प्रतिशत कर देना चाहिये उन्हें एक दिन के लिये गरीब आदमी का जीवन जीना चाहिये ताकि उन्हें पता चल सके कि किस तरह से मूल्य वृद्धि का खपत पर असर पड़ता है।

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