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वृद्धि दर 2020-21 में 11प्र.श. रहने का अनुमान, कृषि को आधुनिक उद्यम के रूप में लिया जाए: समीक्षा

By भाषा | Updated: January 29, 2021 21:37 IST

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नयी दिल्ली, 29 जनवरी आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि कोरोना वायरस संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्था में देश में व्‍यापक टीकाकरण अभियान, सेवा क्षेत्र और उपभोग तथा निवेश में तेजी के साथ तीव्र गति से पुनरूद्धार हो रहा है और वित्त वर्ष 2021-22 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 11 प्रतिशत रह सकती है।

समीक्षा में महामारी के दौरान कृषि क्षेत्र की मजबूती और बेहतर प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा गया है कि सरकार का कृषि क्षेत्र को आधुनिक उद्यम के रूप में देखने और सतत तथा भरोसेमंद वृद्धि के लिये इसमें तत्काल सुधार की जरूरत है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में शुक्रवार को पेश 2020-21 की आर्थिक समीक्षा में राजस्व प्राप्ति और खर्च अनुमान के आधार पर राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में बजटीय लक्ष्य से अधिक रहने का अनुमान जताया गया है।

वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में चालू वित्त वर्ष में इसके जीडीपी का 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था।

समीक्षा में चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद में रिकार्ड 7.7 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान जताया गया है। भारत में इससे पहले जीडीपी में 1979-80 में सबसे अधिक 5.2 प्रतिशत का संकुचन हुआ था।

वित्त वर्ष 2019-20 में संशोधित 4 प्रतिशत वृद्धि दर रही।

इसमें कहा गया है, ‘‘व्‍यापक टीकाकरण अभियान, सेवा क्षेत्र के साथ और उपभोग एवं निवेश में तेजी की संभावनाओं के साथ देश में गिरावट के बाद तीव्र गति से यानी ‘V’ आकार में आर्थिक वृद्धि होगी।’’

समीक्षा के अनुसार, ‘‘कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ के चलते 2020-21 में अनुमानित 7.7 प्रतिशत संकुचन के बाद भारत का वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 2021-22 में 11.0 प्रतिशत और वर्तमान बाजार मूल्य पर 15.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।’’

इसमें यह भी कहा गया है कि टीके दिये जाने और आर्थिक गतिविधियां सामान्य होने के साथ ही ये अनुमान बढ़ भी सकते हैं।

मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वेंकट सुब्रमणियम ने कहा कि भारत ने जिस कड़ाई से ‘लॉकडाउन’ लगाया है, उससे 37 लाख मामलों और एक लाख मृत्यु के मामलों में कमी लाने में मदद मिली। समीक्षा सुब्रमणियम और उनकी टीम ने तैयार किया है।

उन्होंने समीक्षा पेश किये जाने के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘देश दीर्घकालीन लाभ के लिये अल्पकालीन त्याग किया है। जीडीपी वृद्धि दर पटरी पर आ जाएगी लेकिन जो चले गये हैं, उन्हें वापस नहीं लाया जा सकता।’’

सुब्रमणियम ने कहा कि सरकार ने सोच-विचारकर मांग पक्ष आधारित नीतियां लायी। वृहत स्तर पर टीकाकरण अभियान से खासकर सेवा क्षेत्र में पुनरूद्धार आना चाहिए।

लॉकडाउन के कारण प्रथम तिमाही में जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई। वहीं, बाद में तेजी से सुधार से जीडीपी में गिरावट केवल 7.5 प्रतिशत रही।

समीक्षा में कहा गया है, ‘‘देश का आर्थिक बुनियाद अब भी मजबूत है क्‍योंकि ‘लॉकडाउन’ को धीर-धीरे हटाने के साथ-साथ आत्‍मनिर्भर भारत मिशन के जरिए दी जा रही आवश्‍यक सहायता के बल पर अर्थव्‍यवस्‍था मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है।’’

समीक्षा में महामारी के दौरान कृषि क्षेत्र की मजबूती और बेहतर प्रदर्शन की सराहना की गयी है। इसमें कहा गया है, ‘‘सरकार को कृषि क्षेत्र को आधुनिक उद्यम के रूप में देखना चाहिए तथा सतत तथा भरोसेमंद वृद्धि के लिये तत्काल सुधार की जरूरत है।’’

कोवड-19 संकट के दौरान कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर रहा। जहां जीडीपी में गिरावट का अनुमान है वहीं कृषि क्षेत्र में स्थिर मूल्य पर 2020-21 में 3.4 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है।

महंगाई दर के बारे में समीक्षा में देश में मुद्रास्फीति की सही तस्वीर का पता लगाने क लिये खाद्य वस्तुओं का भरांश बढ़ाने का सुझाव दिया गया है। साथ ही ई-वाणिज्यि लेन-देन में वृद्धि को देखते हुए कीमत संबंधी आंकड़ों के नये स्रोत को शामिल करने की जरूरत बतायी गयी है।

इसमें कहा गया है कि खुदरा मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसंबर के दौरान औसतन 6.6 प्रतिशत रही। दिसंबर 2020 में यह 4.6 प्रतिशत थी।

समीक्षा के अनुसार कोविड-19 महामारी के कारण आपूर्ति संबंधी बाधाओं से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी। इस वृद्धि में योगदान खाद्य वस्तुओं का रहा।

‘लॉकडाउन’ के बारे में इसमें कहा गया है कि भारत ने कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए सख्त पाबंदियां लगायी, जिसका उसे आज फायदा मिल रहा है। आर्थिक समीक्षा में एक निष्कर्ष कहा गया है कि देश ने महामारी के दौरान जीडीपी (आर्थिक उत्पाद) की जगह मानव जीवन की रक्षा को अधिक महत्व दिया।

समीक्षा में कहा गया है, ‘‘ भारत ने महामारी की शुरुआत के साथ ही साहसी और बचाव के उपाय लागू किए थे। आज भारत को सख्त लॉकडाउन उपायों का फायदा मिल रहा है।’’

समीक्षा में सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खर्च मौजूदा एक प्रतिशत से बढ़ाकर जीडीपी का 2.5-3 प्रतिशत करने की सिफारिश की गयी है। साथ ही यह भी कहा गया है कि स्वास्थ्य ढांचागत सुविधाएं ऐसी होनी चाहिए जिससे महामारी जैसी स्थिति से निपटा जा सके।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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