नयी दिल्ली, 19 जुलाई सरकार ने सोमवार को कहा कि मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत निवेशकों के लिए एक सम्पर्क सुविधा के रूप में काम करने के लिए एक 'डेयरी निवेश त्वरक' स्थापित किया गया है।
यह डेयरी क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने और सुगम बनाने पर केंद्रित पहल है।
सरकार ने एक बयान में कहा कि डेयरी निवेश त्वरक मंत्रालय के निवेश सुविधा प्रकोष्ठ का हिस्सा होगा।इसमें कहा गया है, ‘‘यह निवेशकों के साथ इंटरफेस के रूप में काम करने के लिए अलग-अलग प्रकार के कार्यों में लगे लोगों की टीम है।’’
यह निवेश के अवसरों के मूल्यांकन के लिए विशिष्ट जानकारियों की पेशकश, सरकारी योजनाओं के लिए आवेदन के बारे में प्रश्नों को संबोधित करने, राज्य के विभागों और संबंधित अधिकारियों के साथ जमीनी सहायता प्रदान करने के अलावा रणनीतिक भागीदारों के साथ जुड़ने जैसे निवेश चक्र में सहायता प्रदान करेगा।
यह पशुपालन क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के विकास को प्रोत्साहित करने वाली 15,000 करोड़ रुपये की सरकार की प्रमुख योजना- एनिमल हसबेंडरी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (एएचआईडीएफ) के बारे में निवेशकों के बीच जागरूकता पैदा करेगा।
उद्यमियों, निजी कंपनियों, एमएसएमई, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और धारा आठ कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए फंड की स्थापना की गई है।
पात्र संस्थाएं डेयरी प्रसंस्करण और संबंधित मूल्यवर्धन बुनियादी ढांचे, मांस प्रसंस्करण और पशु चारा संयंत्र के क्षेत्रों में नई इकाइयां स्थापित करने या मौजूदा इकाइयों का विस्तार करने के लिए योजना का लाभ उठा सकती हैं।
भारत सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है जो वैश्विक दूध उत्पादन में 23 प्रतिशत का योगदान देता है।
सरकार ने कहा कि डेयरी अपने सामाजिक-आर्थिक महत्व के कारण एक उच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र है। यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत का योगदान देने के साथ आठ करोड़ से अधिक किसानों को सीधे रोजगार देता है।
सरकार ने यह भी कहा कि भारतीय खाद्य क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा डेयरी क्षेत्र में देखा गया है।
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