सरकार ने वर्ष 2020-21 में इथेनॉल बनाने के लिए एफसीआई से 78,000 टन चावल का आवंटन किया

By भाषा | Published: June 15, 2021 08:09 PM2021-06-15T20:09:24+5:302021-06-15T20:09:24+5:30

Government allocates 78,000 tonnes of rice from FCI for making ethanol in the year 2020-21 | सरकार ने वर्ष 2020-21 में इथेनॉल बनाने के लिए एफसीआई से 78,000 टन चावल का आवंटन किया

सरकार ने वर्ष 2020-21 में इथेनॉल बनाने के लिए एफसीआई से 78,000 टन चावल का आवंटन किया

नयी दिल्ली, 15 जून वर्ष 2023 तक ई-20 ईंधन (20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल) बनाने के लिए इथेनॉल की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के मकसद से केंद्र ने मंगलवार को कहा कि वह अनाज से भी एथेनॉल के उत्पादन को प्रोत्साहित कर रहा है और उसने नवंबर को समाप्त होने वाले चालू विपणन वर्ष में डिस्टलरी कंपनियों को 20 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर सरकारी उपक्रम भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के 78,000 टन चावल का आवंटन किया है।

सरकार ने कहा कि उसने इस वर्ष 14 जनवरी को अधिसूचित सरकार की ब्याज सहायता योजना के तहत अगले तीन वर्षों में अनाज आधारित नयी आसनियों की स्थापना और पुरानी के विस्तार (765 करोड़ लीटर की कुल क्षमता के साथ) के लिए 189 प्रस्तावों को भी मंजूरी दी है।

वर्ष 2025 तक इथेनॉल डिस्टलरी क्षमता को दोगुना करने पर बड़ा जोर दिया जा रहा है क्योंकि सरकार पेट्रोल के साथ इथेनॉल के सम्मिश्रण के स्तर को वर्तमान 8.5 प्रतिशत से बढ़ा कर 2025 तक 20 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है।

सरकार पहले ही अधिसूचित कर चुकी है कि वह अप्रैल, 2023 तक ई-20 ईंधन उपलब्ध कराएगी।

पुणे में तीन स्थानों पर ई-100 ईंधन (शत प्रतिशत ईथेनॉला) ईंधन वितरण करने की एक प्रायोगिक परियोजना हाल ही में शुरू की गई है।

पेट्रोल में ईथेनॉल मिश्रण (ईबीपी) कार्यक्रम की प्रगति पर मीडिया से बातचीत करते हुए खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा कि सरकार न केवल गुड़ से बल्कि मक्का और चावल जैसे अनाज से भी इथेनॉल उत्पादन को प्रोत्साहित कर रही है।

उन्होंने कहा कि चालू वर्ष के लिए, सरकार ने तीन लाख टन की प्रतिबद्धता के मुकाबले इथेनॉल बनाने के लिए 78,000 टन एफसीआई के चावल आवंटित किये हैं।

खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को अलग से बताया कि इनमें से चार राज्यों पंजाब, हरियाणा, बिहार और मध्य प्रदेश की आठ डिस्टलरी ने एफसीआई के 66,000 टन चावल के लिए अनुबंध किया है, जिससे तीन करोड़ लीटर इथेनॉल का निर्माण किया जाएगा।

खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य से खरीदे गए एफसीआई चावल को इथेनॉल बनाने के लिए रियायती दर पर वितरित करने की आवश्यकता के बारे में पूछे जाने पर, सचिव ने कहा कि इथेनॉल उत्पादन में चावल का योगदान बहुत ही कम होगा। यह आवंटन सरसरी तौर पर किया गय है।

उन्होंने कहा कि अभी अनाज आधारित डिस्टलरी की मौजूदा क्षमता लगभग 268 करोड़ लीटर है, जो शराब आधारित उत्पाद बनाने के लिए है, इसलिए सरकार अनाज आधारित डिस्टलरी की स्थापना को बढ़ावा दे रही है।

केंद्र सरकार पहले से ही मक्का उत्पादक राज्यों के साथ बातचीत कर रही है।

उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर कुल 10,000 करोड़ लीटर इथेनॉल का 73 प्रतिशत मक्का से आता है और शेष शीरा और अन्य अनाज से आता है।

एफसीआई के पास इस समय लगभग 30 लाख टन चावल का भंडार है। फिर भी, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में चावल की खरीद हो रही है। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार है।

मंत्रालय के अनुसार, अनाज से एथेनॉल बनाने के लिए 422 में से लगभग 189 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है, जिनकी कुल स्थापित क्षमता 765 करोड़ लीटर की होगी।

सचिव ने कहा कि इथेनॉल बनाने के लिए दिए जाने वाले एफसीआई के चावल को औद्योगिक उपयोग के लिए दी जाने वाली सब्सिडी के रूप में माना जाएगा।

उन्होंने कहा कि सरकार वर्ष 2025 तक पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत के मिश्रण लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 15,000 करोड़ लीटर के इथेनॉल उत्पादन का लक्ष्य रख रही है। इसमें से अनाज आधारित इथेनॉल 740 करोड़ लीटर और चीनी आधारित इथेनॉल 760 करोड़ लीटर होगा।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 में इथेनॉल उत्पादन के लिए लगभग 165 लाख टन अनाज और 60 लाख टन अधिशेष चीनी की आवश्यकता होगी, जिससे कच्चे तेल के आयात पर खर्च होने वाले 30,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचत होने की उम्मीद है।

चालू 2020-21 विपणन वर्ष के पहले छह महीनों में, तेल विपणन कंपनियों ने 143.05 करोड़ लीटर इथेनॉल का मिश्रण किया है, जो कि पेट्रोल के साथ 7.7 प्रतिशत का सम्मिश्रण स्तर है। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, विपणन वर्ष के अंत तक, देश को 8.5 प्रतिशत सम्मिश्रण का स्तर प्राप्त कर लेने की उम्मीद है।

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Web Title: Government allocates 78,000 tonnes of rice from FCI for making ethanol in the year 2020-21

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