एफआरएल-रिलायंस सौदा: न्यायालय का अमेजन के पक्ष में फैसला, आपात निर्णायक के फैसले को सही बताया

By भाषा | Updated: August 6, 2021 13:26 IST2021-08-06T13:26:05+5:302021-08-06T13:26:05+5:30

FRL-Reliance deal: Court's decision in favor of Amazon, upheld the decision of the emergency adjudicator | एफआरएल-रिलायंस सौदा: न्यायालय का अमेजन के पक्ष में फैसला, आपात निर्णायक के फैसले को सही बताया

एफआरएल-रिलायंस सौदा: न्यायालय का अमेजन के पक्ष में फैसला, आपात निर्णायक के फैसले को सही बताया

नयी दिल्ली, छह अगस्त उच्चतम न्यायालय ने ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनी अमेजन के पक्ष में शुक्रवार को फैसला देते हुए कहा कि फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) के रिलायंस रिटेल के साथ 24,731 करोड़ रुपये के विलय सौदे पर रोक लगाने का सिंगापुर के आपात निर्णायक का फैसला भारतीय कानूनों के तहत वैध एवं लागू करने योग्य है।

न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की पीठ ने इस वृहद सवाल पर गौर किया और फैसला दिया कि किसी विदेशी कंपनी के आपात निर्णायक (ईए) का फैसला भारतीय मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम के तहत लागू करने योग्य है बावजूद इसके कि ईए शब्द का प्रयोग यहां मध्यस्थता कानूनों में नहीं किया गया है।

पीठ ने कहा, “ईए का आदेश धारा 17 (1) के तहत आने वाला आदेश है और इसे मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम की धारा 17 (2) के तहत लागू करने योग्य है।”

अमेजन डॉट कॉम एनवी इंवेस्टमेंट होल्डिंग्स एलएलसी और एफआरएल के बीच इस सौदे को लेकर विवाद था और अमेरिका स्थित कंपनी ने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कि ईए का फैसला वैध एवं लागू करने योग्य बताया जाए।

एफआरएल ने तर्क दिया था कि ईए मध्यस्थ भारतीय कानून के तहत नहीं है, क्योंकि इस शब्द का यहां कानून में कोई उल्लेख नहीं है।

दोनों कंपनियों ने फैसले पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की, हालांकि एक कानूनी विशेषज्ञ ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि फ्यूचर रिटेल द्वारा आदेश के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करने की उम्मीद है। इसके अलावा कंपनी रिलायंस के साथ अपने सौदे को आगे बढ़ाने के लिए मध्यस्थता अधिनियम की धारा 37 (20) के तहत दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष ईए के अंतरिम आदेश के खिलाफ अपील भी कर सकती है।

उन्होंने कहा कि यह निर्णय, एफआरएल और अमेजन के बीच विवाद के गुण-दोष से संबंधित नहीं है। इसने कानून के उन सवालों का जवाब दिया है, जिनकी प्रकृति अकादमिक है।

उन्होंने कहा कि फैसले में कहा गया है कि एसआईएसी आपातकालीन मध्यस्थ का अंतरिम आदेश मध्यस्थता अधिनियम की धारा 17(1) के तहत बाध्यकारी है।

शीर्ष अदालत ने 29 जुलाई को एफआरएल और अमेजन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और गोपाल सुब्रमण्यम सहित अन्य वकीलों की सुनवाई के बाद 29 जुलाई को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।

अमेरिका की ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ने कहा था कि सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (एसआईएसी) का ईए फैसला प्रवर्तन योग्य है और दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने उसके पक्ष में अंतरिम फैसला सुनाया है तथा विलय पर स्थगन दिया है।

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने 22 फरवरी को अपने अंतरिम आदेश में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) से इस विलय पर अंतिम आदेश पारित नहीं करने को कहा था।

फ्यूचर समूह ने रिलायंस के साथ 24,713 करोड़ रुपये के सौदे के लिए नियामकीय मंजूरियों को न्यायाधिकरण का रुख किया था। वहीं अमेजन ने दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। इससे रिलायंस-एफआरएल सौदे का रास्ता खुल गया था।

उल्लेखनीय है कि अमेजन और फ्यूचर समूह के बीच कानूनी विवाद चल रहा है। अमेरिकी कंपनी ने फ्यूचर समूह के खिलाफ सिंगापुर के आपातकालीन मध्यस्थता न्यायाधिकरण में मामला दर्ज किया। उसकी दलील है कि भारतीय कंपनी ने प्रतिद्वंद्वी रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ समझौता कर अनुबंध का उल्लंघन किया है।

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Web Title: FRL-Reliance deal: Court's decision in favor of Amazon, upheld the decision of the emergency adjudicator

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