सेबी की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच को राहत?, हिंडनबर्ग मामले में लोकपाल ने शिकायतों को खारिज किया

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 28, 2025 21:18 IST2025-05-28T21:17:33+5:302025-05-28T21:18:32+5:30

लोकपाल ने कहा कि पिछले साल दर्ज की गई तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा समेत अन्य सभी की शिकायतें मूल रूप से एक निवेश कंपनी की रिपोर्ट पर आधारित थीं।

former SEBI chief Madhabi Puri Buch Relief Ombudsman dismisses complaints in Hindenburg case | सेबी की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच को राहत?, हिंडनबर्ग मामले में लोकपाल ने शिकायतों को खारिज किया

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Highlightsरिपोर्ट में पूरा ध्यान अदाणी समूह की कंपनियों को ‘बेनकाब’ करने या जांच के घेरे में लाने पर था। अदाणी समूह से संबंधित कोष की कथित हेराफेरी में किया गया।ठोस सबूत नहीं है तथा अपराध की कोई बात नजर नहीं आ रही...।

नई दिल्लीः भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों की जांच करने वाली संस्था लोकपाल ने बुधवार को हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के आधार पर बाजार नियामक सेबी की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ अनुचित व्यवहार और हितों के टकराव का आरोप लगाने वाली शिकायतों को खारिज कर दिया है। उसने कहा कि आरोप पूरी तरह से धारणा पर आधारित है और उसके समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं हैं। लोकपाल ने कहा कि पिछले साल दर्ज की गई तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा समेत अन्य सभी की शिकायतें मूल रूप से एक निवेश कंपनी की रिपोर्ट पर आधारित थीं।

रिपोर्ट में पूरा ध्यान अदाणी समूह की कंपनियों को ‘बेनकाब’ करने या जांच के घेरे में लाने पर था। हिंडनबर्ग रिसर्च ने 10 अगस्त, 2024 को प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया कि बुच और उनके पति के पास अस्पष्ट विदेशी कोष में हिस्सेदारी थी, जिसका उपयोग अदाणी समूह से संबंधित कोष की कथित हेराफेरी में किया गया।

उन्होंने आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि हिंडनबर्ग ने पूंजी बाजार नियामक की विश्वसनीयता पर हमला किया और चरित्र हनन का प्रयास किया। लोकपाल ने बुधवार को अपने आदेश में कहा, ‘‘शिकायतों में लगाए गए आरोप अनुमानों और धारणाओं पर आधारित हैं और उसके पक्ष में कोई ठोस सबूत नहीं है तथा अपराध की कोई बात नजर नहीं आ रही...।’’

लोकपाल चेयरपर्सन न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय पीठ ने आदेश में कहा कि इसको देखते हुए इन शिकायतों का निपटान किया जाता है। बुच ने दो मार्च, 2022 को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रमुख के रूप में पदभार संभाला था। कार्यकाल पूरा होने के बाद वह 28 फरवरी को पद से हट गईं।

लोकपाल ने इस संबंध में पहले के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट को बुच के खिलाफ कार्रवाई बढ़ाने का एकमात्र आधार नहीं बनाया जा सकता। आदेश में कहा गया, ‘‘शिकायतकर्ताओं ने... कथित रिपोर्ट से स्वतंत्र होकर आरोपों को स्पष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन हमारे विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकला कि वे प्रमाणिक नहीं हैं।’’

लोकपाल ने पिछले साल आठ नवंबर को लोकसभा सदस्य मोइत्रा और दो अन्य की तरफ से दायर शिकायतों पर बुच से ‘स्पष्टीकरण’ मांगा था। पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की पूर्व प्रमुख बुच को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब देने के लिए कहा गया था। बुच ने सात दिसंबर, 2024 को हलफनामे के माध्यम से अपना जवाब दाखिल किया था।

उसमें उन्होंने कुछ मुद्दे उठाए थे और आरोपों के बारे में स्पष्टीकरण भी दिया था। लोकपाल ने पिछले साल 19 दिसंबर को बुच और शिकायतकर्ताओं को मौखिक सुनवाई का अवसर देने का फैसला किया था, ताकि वह अपना पक्ष स्पष्ट कर सकें। हिंडनबर्ग रिसर्च के संस्थापक ने इस साल जनवरी में कंपनी के बंद होने की घोषणा की थी।

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