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रिजर्व बैंक के लिये वित्तीय समावेश उसकी नीतिगत प्राथमिकता में बना रहेगा: दास

By भाषा | Updated: July 15, 2021 20:00 IST

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मुंबई, 15 जुलाई भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को कहा कि महामारी के बाद पुनरूद्धार को समाताकारक और परिस्थितिकीय अनुकूल बनाने के लिये वित्तीय समावेशन उसकी नीतिगत प्राथमिकता में बना रहेगा। वित्तीय सेमावेशन से तात्पर्य वित्तीय/बैंकिंग सेवाओं को उन लोगों तक पहुंचाना है जो अभी इससे वंचित हैं।

दास ने इकोनॉमिक टाइम्स वित्तीय समावेश शिखर सम्मेलन में कहा कि रिजर्व बैंक जल्दी ही पहला वित्तीय समावेश सूचकांक जारी करेगा। यह पहुंच, उपयोग और गुणवत्ता के मामले में प्रगति का आकलन करेगा।

आरबीआई गवर्नर के अनुसार यह सुनिश्चित करने की सभी पक्षों की जिम्मेदारी है कि वित्तीय परिवेश(डिजिटल माध्यम सहित) समावेशी हो। साथ यह उचित वित्तीय शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से गलत तरीके से बिक्री, साइबर सुरक्षा, आंकड़ा गोपनीयता जैसे जोखिमों को प्रभावी तरीके से दूर करने एवं और वित्तीय प्रणाली में विश्वास को बढ़ावा देने में सक्षम हो।

लोगों तक बैंक की पहुंच सुनिश्चित कर अर्थव्यवस्था को संगठित रूप देने में मदद के लिये पिछले दशक की शुरूआत से वित्तीय समावेश पर आरबीआई का विशेष जोर रहा है। प्रौद्योगिकी ने इसे आसान बनाया और सरकार ने भी प्रधानमंत्री जनधन योजना की शुरूआत कर इस पर काफी जोर दिया।

दास ने कहा, ‘‘महामारी के बाद पुनरूद्धार को समावेशी और टिकाऊ बनाने के लिये वित्तीय समावेश हमारे लिये नीतियों के मोर्चे पर प्राथमिकता में रहेगी।’’

उन्होंने कहा कि देश में वित्तीय समावेश की स्थिति का आकलन करने के लिये वित्तीय समावेश सूचकांक (एफआईआई) तैयार करने और उसका निश्चित अवधि पर प्रकाशित करने का निर्णय किया गया है। इस बारे में कुछ समय पहले फैसला किया गया था।

उन्होंने कहा कि सूचकांक में पहुंच, उपयोग और गुणवत्ता सहित तीन मानदंड होंगे। ‘‘एफआईआई पर काम चल रहा है और सूचकांक बहुत जल्द रिजर्व बैंक द्वारा प्रकाशित किया जाएगा।’’

दास ने कहा कि वित्तीय समावेश निरंतर और संतुलित आर्थिक विकास का एक प्रमुख तत्व है। यह असमानता और गरीबी को कम करने में मदद करता है। जब हम इस मामले में तेजी से आगे बढ़ रहे थे, महामारी ने नई चुनौतियां और जटिलताएं पैदा की हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी अर्थव्यवस्था की आकांक्षाओं और जरूरतों को पूरा करने के लिए वित्तीय प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।’’

गवर्नर ने कहा कि अब उपभोक्ता संरक्षण और ग्राहकों की क्षमता बढ़ाने पर ध्यान देते हुए कमजोर वर्गों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि वित्तीय सेवाओं का जिम्मेदार और टिकाऊ उपयोग हासिल किया जा सके।

उन्होंने कहा कि आरबीआई को वित्तीय समावेश के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। इसमें ग्राहक की पहचान, अंतिम छोड़ तक पहुंचने और प्रासंगिक उत्पाद प्रदान करने की चुनौती शामिल हैं।

दास ने कहा कि मार्च 2024 तक देश भर में वित्तीय साक्षरता केंद्र (सीएफएल) परियोजना को प्रखंड स्तर तक बढ़ाने से वित्तीय साक्षरता का दायरा बढ़ने की उम्मीद है।

उन्होंने यह भी कहा कि 15 राज्य शिक्षा बोर्ड ने वित्तीय शिक्षा को अपने पाठ्यक्रम में शामिल करने की सहमति दी है ताकि बच्चों को महत्वपूर्ण विषय की जानकारी मिल सके।

दास ने कहा, ‘‘बैंक खातों के साथ ऋण, निवेश, बीमा और पेंशन से जुड़े उत्पादों तक तेजी से सभी तक पहुंच की जरूरत है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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