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वित्तीय आंकड़ा साझा करने की प्रणाली से बैंकों से कर्ज लेना, रुपये का प्रबंधन होगा आसान

By भाषा | Updated: September 10, 2021 18:29 IST

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नयी दिल्ली, 10 सितंबर सरकार की नई वित्तीय आंकड़ा साझा प्रणाली (एकाउंट एग्रीगेट) के जरिये आम लोग और छोटे कारोबारी डिजिटल तरीके से वित्तीय जानकारी साझा कर बैंकों से बिना किसी झमेले में पड़े जल्द कर्ज प्राप्त कर सकेंगे। इस व्यवस्था में उन्हें ‘बैंक स्टेटमेंट’ समेत अन्य दस्तावेज जुटाने को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं होगी।

वित्त मंत्रालय ने बुधवार को वित्तीय आंकड़ा-साझा प्रणाली के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवालों (एफएक्यू) के जरिये इस नई व्यवस्था के बारे में जानकारी दी है। इसके अनुसार यह व्यवस्था निवेश और रिण के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है। इससे कर्ज आसानी से उपलब्ध कराने के साथ धन प्रबंधन में मदद मिलेगी।

वित्तीय आंकड़ा-साझा करने वाली इकाई यानी ‘एकाउंट एग्रीगेटर’ भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित इकाई है। यह गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी होगी जिसके पास आंकड़ा साझा करने का लाइसेंस होगा। यह किसी व्यक्ति के सुरक्षित और डिजिटल रूप में एक वित्तीय संस्थान से प्राप्त खाते की जानकारी को सुरक्षित रखती है और व्यवस्था में शामिल किसी अन्य विनियमित वित्तीय संस्थान के साथ ग्राहक की जरूरत के अनुसार साझा करने में मदद करती है। हालांकि, जानकारी साझा करने को लेकर संबंधित ग्राहक की सहमति जरूरी है।

वित्त मंत्रालय के एफएक्यू के मुताबिक इस पहल से बैंकों और वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए ग्राहकों की संख्या में भी भारी बढ़ोतरी होगी। इसमें कहा गया है, ‘‘यह भारत में खुली बैंक व्यवस्था शुरू करने की दिशा में पहला कदम है। यह लाखों ग्राहकों को सुरक्षित और कुशल तरीके से अपने वित्तीय आंकड़े तक डिजिटल रूप में पहुँचने और इसे अन्य संस्थानों के साथ साझा करने के लिए सशक्त बनाता है।’’

फिलहाल ‘अकाउंट एग्रीगेटर’ व्यवस्था देश के आठ सबसे बड़े बैंकों के साथ शुरू की गई है। आठ बैंकों में से चार... एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और इंडसइंड बैंक यह सुविधा शुरू कर चुके हैं जबकि चार अन्य... भारतीय स्टेट बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और फेडरल बैंक़.. इसे जल्द शुरू करने वाले हैं।

वित्तीय जानकारी साझा करने की व्यवस्था ऋण और धन प्रबंधन को बहुत तेज और किफायती बनाएगी। आंकड़ा साझा करने वाली इकाई आंकड़ा न तो देख सकती है और न उसे अपने पास ‘स्टोर’ कर सकती है। वे केवल व्यक्ति के निर्देश और सहमति के आधार पर इसे एक वित्तीय संस्थान से दूसरे वित्तीय संस्थान में भेज सकते हैं। यह प्रौद्योगिकी कंपनियों की तरह नहीं हैं, जो आपके आंकड़े को एकत्रित करती हैं।

आंकड़े को कूटभाषा (एन्क्रिप्ट) में साझा किया जाता और केवल प्राप्तकर्ता संस्थान ही इसे समझ (डिक्रिप्ट) सकता है। बैंकिंग लेनदेन डेटा, उन बैंकों के साथ साझा किये जाने के लिए उपलब्ध है, (उदाहरण के लिए, एक चालू या बचत खाते से बैंक विवरण) जो अभी नेटवर्क से जुड़े हैं।

धीरे-धीरे ‘एकाउंट एग्रीगेटर’ व्यवस्था साझा करने के लिए सभी वित्तीय आंकड़े उपलब्ध कराएगी। इसमें कर आंकड़ा, पेंशन आंकड़ा, म्यूचुअल फंड और ब्रोकरेज से जुड़ा आंकड़ा शामिल हैं। बीमा आंकड़ा भी उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध होगा।

वित्तीय क्षेत्र के अलावा भी इस सुविधा का विस्तार होगा, ताकि इसके माध्यम से स्वास्थ्य सेवा और दूरसंचार आंकड़े भी लोगों के लिए सुलभ हो सके।

वास्तव में ‘एकाउंट एग्रीगेटर’ एक मध्यस्थ के रूप में काम करेगा और ग्राहकों को विभिन्न वित्तीय सूचना प्रदाताओं से जोड़ने में मदद करेगा।

फिलहाल जिन इकाइयों को एकाउंट एग्रीगेटर के रूप में काम करने की मंजूरी मिली है, सीएएमएस फिनसर्व, एनएडीएल, फिनव्यू आदि शामिल हैं। ग्राहक इन इकाइयों की वेबसाइट या ऐप के जरिये अपनी इच्छानुसार पंजीकरण कर सकते हैं।

वित्तीय आंकड़ा साझा प्रणाली का लक्ष्य ग्राहकों को सशक्त बनाना और सूचना की समस्या को कम करना है। इस व्यवस्था में बैंक या वित्तीय संस्थान सुरक्षित रूप से आंकड़ा जल्दी और कम लागत में प्राप्त कर सकते हैं। इससे ऋण मूल्यांकन प्रक्रिया में तेजी आएगी और ग्राहकों को बिना विलम्ब के कर्ज मिल सकेगा।

वित्त मंत्रालय के अनुसार साथ ही एक ग्राहक जीएसटी या जीईएम (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) जैसी सरकारी प्रणाली से प्राप्त होने वाली नकदी या भविष्य के चालान संबंधी भरोसेमंद जानकारी साझा करके बिना कोई सम्पत्ति दस्तावेज को गिरवी रखे ऋण प्राप्त कर सकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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