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निर्यात, एथनॉल मिश्रण से चीनी मिलों के मार्जिन में एक प्रतिशत तक की होगी वृद्धि: रिपोर्ट

By भाषा | Updated: June 9, 2021 20:22 IST

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मुंबई, नौ जून लगातार दूसरे सत्र में निर्यात बढ़ने तथा पेट्रोल सम्मिश्रण के लिए एथनॉल की आपूर्ति बढ़ने के कारण चालू वित्तवर्ष में एकीकृत चीनी मिलों के मुनाफे में 0.75 से लेकर एक प्रतिशत अंक वृद्धि की संभावना है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

लगातार दूसरे चीनी सत्र (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी निर्यात बढ़ने, पेट्रोल के साथ सम्मिश्रण के लिए एथनॉल आपूर्ति बढ़ने के साथ, चालू वित्तवर्ष में एकीकृत चीनी मिलों का परिचालन मुनाफा पौना से लेकर एक प्रतिशत अंक तक सुधर कर 13-14 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। क्रिसिल रेटिंग की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

इसमें कहा गया है कि इसके अलावा, सरकार द्वारा हाल ही में एथनॉल-पेट्रोल सम्मिश्रण लक्ष्य को 20 प्रतिशत करने की समयसीमा को दो साल पहले 2025 करने की घोषणा की गई है। इससे मध्यम अवधि में इस गति को बनाए रखने में मदद मिल सकती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मुनाफे में सुधार और नियंत्रित कर्ज स्तर से चालू वित्त वर्ष में एकीकृत मिलों के कर्ज लेने की क्षमता मजबूत होगी। इसमें कहा गया है कि दूसरी ओर गैर-एकीकृत चीनी मिलों के लिए ऋण क्षमता का परिदृश्य काफी हद तक स्थिर रहेगा।

क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी ने कहा, ‘‘एकीकृत चीनी मिलों की लाभप्रदता को चीनी निर्यात बढ़ने, लाभकारी कीमतों और लाभकारी एथनॉल का अनुपात बढ़ने का समर्थन मिलेगा। वहीं घरेलू चीनी बाजार में कम लाभप्रदता के प्रभाव को इससे पाटने में मदद मिलेगी।

वैश्विक बाजार में सफेद चीनी के दाम घरेलू चीनी मूलय के मुकाबले अधिक है और पिछले छह माह के दौरान ये 14.3 प्रतिशत बढ़कर 33.6 रुपये किलो पर पहुंच गये हैं। निर्यात सहायता के बिना जून 2021 में यह दाम है। इस मौसम में चीनी की कमी के चलते वैश्विक बाजार में दाम ऊंचे बने रहने की संभावना है। ब्राजील और थाइलैंड में चीनी उत्पादन में कमी आई है। इससे घरेलू चीनी मिलों का चीनी निर्यात लक्ष्य 60 लाख टन से भी ऊपर जा सकता है।

हालांकि घरेलू स्तर पर गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य में चार प्रतिशत की वृद्धि से चीनी मिलों के मुनाफे पर हल्का असर पड़ सकता है। गन्ने का दाम तो बढ़ा है लेकिन चीनी के न्यूनतम मूल्य में कोई बदलाव नहीं किया गया है यह 31 रुपये प्रति किलो पर ही स्थिर है। ऐसे में एकीकृत चीनी मिलों के मुकाबले गैर- एकीकृत चीनी मिलों पर ज्यादा असर पड़ सकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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