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आरबीआई के कर्ज सुविधा विस्तार से वैक्सीन निर्माताओं को मिलेगी मदद : विशेषज्ञ

By भाषा | Updated: May 5, 2021 20:03 IST

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नयी दिल्ली पांच मई विशेषज्ञों ने बुधवार को कहा कि भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा पचास हजार करोड की कर्ज सुविधा को आगे बढाने के कदम से स्वास्थ सेवाओं एवं कोरोना वैक्सीन निर्माताओं को मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि पहले से जारी कर्ज सुविधा को आगे बढ़ाने के कदम से नकदी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी तथा इससे उतपादन को बढ़ाने के लिए तत्काल चाहिए वित्त पोषण में भी मदद मिलेगी।

अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर भारतीय अनुसंधान परिषद(इक्रीएर) में -आरबीआई पीठ के प्रोफेसर अलोक शील ने हालांकि लॉकडाउन के प्रभाव से निपटने के लिए उन्नत यानी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं द्वारा दिए गए बड़े राजकोषीय पैकेजों के निर्णयों का समर्थन किया है। जिससे देशों को वापस खड़े होने पर मदद मिली हैं।

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांता दास ने दरअसल महामारी के कारण अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए बुधवार को व्यक्तियों और छोटे उधारकर्ताओं को ऋण चुकाने के लिए अधिक समय देने की घोषणा की है। उन्होंने बैंकों को वैक्सीन निर्माताओं, अस्पतालों और कोरोना से संबंधित स्वास्थ्य अवसंरचना को प्राथमिकता के तौर पर ऋण देने की अनुमति भी दी है।

प्रोफेसर शील ने कहा, ‘‘गवर्नर ने अपने बयान में यह संकेत दिया कि आरबीआई केंद्र सरकार से साथ मिलकर काम कर रहा है। लेकिन स्वाभाविक तौर पर सवाल यह उठता है कि राजकोषीय समर्थन की रूपरेखा तय करने के लिए क्या सरकार की तरफ से भी इस तरह का कोई बयान आएगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इन हालातों में कोई भी राजकोषीय की ही उम्मीद लगाएगा। कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान भी राजकोषीय समर्थन बहुत सीमित था। जिसमे ज्यादातर समर्थन कर्ज देने के रूप में किया गया था जबकि बड़ी संख्या में गरीब लोगों ने कड़े लॉकडाउन के कारण अपनी आजीविका के स्रोत को खो दिया था।’’

उन्होंने कहा कि जितनी भी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं ने इस तरह का लॉकडाउन लगाया था, उन्होंने बड़े राजकोषीय पैकेजों के माध्यम से व्यापक आय सहायता प्रदान की थी।

शील ने कहा, ‘‘आय सहायता के कारण उन्नत अर्थव्यवस्था वापस अपने पैरों पर खड़े होने में कई हद तक सफल रही। शायद यह सरकार की ऐसी वित्तीय सहायता प्रदान करने में असमर्थ है जो कई चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा दी गई सलाह के बावजूद सामान्य लॉकडाउन लागू न करने के निर्णय को रेखांकित करती है।’’

एस्सार कैपिटल के वरिष्ठ प्रबंध निदेशक संजय पालवे ने कहा कि वर्तमान में प्राथमिकता लोगों की जान बचाना है। हालांकि आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को आसान बनाने के लिए 50,000 करोड़ रुपये की नकदी सुविधा देश की जरूरत है।

जे सागर एसोसिएट्स आशित शाह ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से हुए नुकसान से निपटने में अतिरिक्त पुनर्गठन दिशा-निर्देश सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, छोटे व्यवसायों और व्यक्तियों की सहायता करेंगे। यह दिशा-निर्देश और हाल ही में शुरू की गई पूर्व-इनसोल्वेंसी रिज़ॉल्यूशन प्रक्रिया सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम को अपने व्यवसायों को खोने या नष्ट करने के भय के बिना अपने ऋणों का पुनर्गठन करने में मदद करेगी।

एक्यूट रेटिंग और रिसर्च मुख्य विश्लेषणात्मक अधिकारी सुमन चौधरी ने कहा कि आरबीआई के कदम स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को ऋण की उपलब्धता का समर्थन करेगा जो कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से निपटने में बेहद महत्वपूर्ण है।

एमके वेल्थ मैनेजमेंट के अनुसंधान प्रमुख डा जोसफ थामस ने कहा कि चिकित्सा सुविधओं के विस्तार के लिए 50000 करोड़ रुपये के कर्ज की तीन साल की सुविधा इन सुविधाओं के तत्काल विस्तार की दिशा में अच्छा कदम है। इससे स्वाथ्य क्षेत्र में नैदानिक, निवारक उपारात्मक सुविधाओं के दीर्घकालिक सुधार में मदद मिलेगी।

अचल सम्पत्ति बाजार का अनुसंधान करने वाली कंपनी नाइट फ्रैंक इंडिया की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि स्वाथ्य क्षेत्र के कर्ज की सुविधा बढ़ाना समय की आवश्यकता थी। सिन्हा ने कहा ख् ‘हमारा मानना है कि केंद्रीय बैंक मुस्तैद रहेगा और आर्थिक परिस्थितियां आगे जैसी बनेंगी उस हिसाब से वह आवश्यकत कदम उठाएगा।’

स्वास्थ्य सेवा कंपनी ग्लोबल हास्पिटल के मुख्य कार्यपालक डा विवेक तलाउलिकर ने कहा कि कोविड संकट के इस दौर में रिजर्व बैंक के आज के कदम स्वास्थ्य क्षेत्र में अस्पतालों , दवाकंपनियों , स्वास्थ्य उपकरण निर्माताओं , स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी कंपनियों-सभी प्रकार के हितधारकों के लिए सचमुच बड़ी ताकत देने वाला निर्णय है।

वित्तीय सेवा कंपनी एकारो स्योरिटी के सीईओ विकास खंडेलवाल ने स्माल फाइनेंस (लधु ऋण) बैंकों द्वारा माइक्रो फाइनांस संस्थाओं को दिए जाने वाले कर्ज को प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण का दर्जा देने से छोटी कोरोबारी इकाइयों को कारोबार के लिए कर्ज की सुविधा बढ़ेगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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