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डिजिटल कर अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ भेदभाव नहीं करता: भारत

By भाषा | Updated: January 7, 2021 21:46 IST

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नयी दिल्ली, सात जनवरी भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि दो प्रतिशत डिजिटल कर (इक्वलाइजेशन शुल्क) अमेरिकी कंपनियों के साथ भेदभाव नहीं करता क्योंकि यह सभी प्रवासी ई-वाणिज्य परिचालकों पर लगता है चाहे वे किसी भी देश से क्यों न हों।

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) की जांच के संदर्भ में यह बयान दिया गया है। जांच रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि ई-वाणिज्य आपूर्ति पर भारत का दो प्रतिशत डिजिटल कर अमेरिकी कंपनियों के साथ भेदभाव है और यह अंतररराष्ट्रीय कर सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है।

एक बयान में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा कि इसमें पूर्व प्रभाव से कोई बात नहीं है क्योंकि शुल्क एक अप्रैल 2020 से पहले लगाया गया और यह उसी समय से प्रभाव में आया है।

मंत्रालय ने कहा कि यह कर केवल भारत में सृजित आय पर लागू होगा। दूसरे क्षेत्रों में प्राप्त आय से इसका कोई लेना-देना नहीं है।

मंत्रालय के अनुसार डिजिटल कर का मकसद निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करना है और सरकार की उन कंपनियों पर कर लगाने की क्षमता का उपयोग करना है जिनका डिजिटल परिचालन के जरिये भारतीय बाजार से करीबी जुड़ाव है।

बयान में कहा गया है कि शुल्क इस सिद्धांत को मान्यता देता है कि डिजिटल दुनिया में एक विक्रेता संबंधित देश में बिना दुकान, स्टोर या भौतिक रूप से उपस्थित हुए बिना कारोबार कर सकता है और सरकार के पास ऐसे लेन-देन पर कर लगाने का अधिकार है।

यूएसटीआर कार्यालय ने छह जनवरी को भारत के डिजिटल सेवा कर (डीएसटी) के संदर्भ में धारा 301 जांच के बारे में रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के निष्कर्ष में कहा गया है कि डीएसटी...डिजिटल कर...भेदभावपूर्ण है और अमेरिकी व्यवसाय को प्रतिबंधित करता है।

इसी प्रकार की बातें इटली और तुर्की के बारे में भी कही गयी है।

मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत की ई-वाणिज्य कंपनियों पर पहले से भारतीय बाजार में सृजित आय पर कर लग रहा है।

बयान के अनुसार, ‘‘हालांकि डिजिटल कर के अभाव में दूसरे देशों की ई-वाणिज्य कंपनियों (जिनका भारत में स्थायी ठिकाना नहीं है लेकिन आर्थिक रूप से मौजूदा है) को भारत में ई-वाणज्यिक आपूर्ति या सेवाओं से प्राप्त आय के एवज में कर नहीं देना पड़ता था।’’

मंत्रालय ने साफ किया कि 2 प्रतिशत डिजिटल कर प्रवासी ई-वाणिज्य परिचालकों पर लगेगा जिनका भारत में स्थायी ठिकाना नहीं है।

बयान में कहा गया है, ‘‘शुल्क की सीमा 2 करोड़ रुपये है जो काफी कम है। और यह समान रूप से दुनिया की उन सभी ई-वाणिज्यि परिचालकों पर लागू होगा, जिनका भारत में कारोबार है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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