डीएचएफएल के पूर्व प्रवर्तक वधावन ने 63 मून्स पर समाधान प्रक्रिया अवरुद्ध करने का आरोप लगाया
By भाषा | Updated: December 8, 2020 19:41 IST2020-12-08T19:41:34+5:302020-12-08T19:41:34+5:30

डीएचएफएल के पूर्व प्रवर्तक वधावन ने 63 मून्स पर समाधान प्रक्रिया अवरुद्ध करने का आरोप लगाया
नयी दिल्ली, आठ दिसंबर संकट से जूझ रही कंपनी डीएचएफएल के पूर्व प्रवर्तक कपिल वधावन ने आरोप लगाया है कि 63 मून्स टेक्नोलॉजीज दिवाला शोधन प्रक्रिया में रुकावट पैदा कर रही है। वर्तमान में जेल में बंद वधावन ने रिजर्व बैंक और सेबी को लिखे पत्र में यह आरोप लगाया है।
डीएचएफल के कर्जदाता 83 हजार करोड़ रुपये के बकाये ऋण की वसूली के लिये परिसंपत्तियों की नीलामी करना चाह रहे हैं, वहीं जिग्नेश शाह द्वारा स्थापित 63 मून्स टेक्नोलॉजीज ने मद्रास उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर कर 200 करोड़ रुपये के अपने बकाये की वसूली के लिये डीएचएफएल की संपत्तियां कुर्क करने की मांग की है।
वधावन ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास और बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन अजय त्यागी को लिखे पत्र में कहा कि 63 मून्स अपने 200 करोड़ रुपये के बकाये की वसूली को बैंकों के 80 हजार करोड़ रुपये के बकाये की वसूली से अधिक महत्व दे रही है।
इस पत्र की कॉपी प्रधानमंत्री कार्यालय को भी भेजी गयी है।
इस बारे में संपर्क किये जाने पर 63 मून्स के प्रवक्ता ने इस बात पर आश्चर्य जाहिर किया कि वधावन तलोजा जेल (नई मुंबई) से पत्र लिखने में सक्षम हैं। उन्होंने पत्र में लिखी गयी बातों पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि कंपनी अपना पैसा वसूलने के लिये प्रतिबद्ध है।
प्रवक्ता ने यह भी नहीं बताया कि डीएचफएफएल पर 63 मून्स का कितना बकाया है।
हालांकि, वधावन ने पत्र में इस बारे में कहा कि 63 मून्स ने एक पब्लिक इश्यू के दौरान 2016 में डीएचएफएल के गैर-परिवर्तनीय डिबेंचरों में 200 करोड़ रुपये का निवेश किया था। ये डिबेंचर 2023 के बाद से परिपक्व होने वाले हैं।
वधावन के इस पत्र को पीटीआई-भाषा ने भी देखा है। पत्र में कहा गया है, ‘‘मैं 63 मून्स टेक्नोलॉजीज द्वारा उठाये गये दुर्भाग्यपूर्ण और विनाशकारी कार्यों पर आपका ध्यान आकर्षित करने के लिये विवश हूं। 63 मून्स के कदम से डीएचएफएल की संपूर्ण समाधान प्रक्रिया के बाधित होने की आशंका है।
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