आईपीजीए की दालों पर स्टॉक की सीमा के आदेश को वापस लेने की मांग

By भाषा | Updated: July 3, 2021 14:28 IST2021-07-03T14:28:45+5:302021-07-03T14:28:45+5:30

Demand to withdraw the order of stock limit on pulses of IPGA | आईपीजीए की दालों पर स्टॉक की सीमा के आदेश को वापस लेने की मांग

आईपीजीए की दालों पर स्टॉक की सीमा के आदेश को वापस लेने की मांग

नयी दिल्ली, तीन जुलाई भारतीय दलहन एवं अनाज संघ (आईपीजीए) ने शनिवार को सरकार द्वारा जमाखोरी और मूल्यवृद्धि को रोकने के लिए अक्टूबर तक दालों पर स्टॉक की सीमा लगाए जाने के फैसले पर आश्चर्य व्यक्त किया।

आईपीजीए ने कहा कि इस फैसले से दलहन उद्योग ‘बेहद हैरत’ में है। आईपीजीए ने इस मुद्दे पर सरकार को ज्ञापन देने का फैसला किया है।

आईपीजीए के उपाध्यक्ष बिंबल कोठारी ने एक बयान में कहा, ‘‘हम सरकार से इस आदेश को तुरंत वापस लेने का आग्रह करते हैं क्योंकि यह किसी के हित में नहीं है।’’

सरकार ने दो जुलाई को एक अधिसूचना जारी कर मूंग को छोड़कर सभी दालों पर थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, मिल मालिकों और आयातकों पर स्टॉक रखने की सीमा तय कर दी थी।

कोठारी ने कहा कि आईपीजीए ने व्यापार को बढ़ावा देने और किसानों की आय को दोगुना करने के सरकार के प्रयासों का हमेशा स्वागत और समर्थन किया है, जिसमें अरहर, उड़द और मूंग के मामले में आयात नीति को “प्रतिबंधित” से “मुक्त” करने के लिए संशोधन भी शामिल है।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन दालों पर स्टॉक की सीमा लगाने के इस आदेश ने दलहन उद्योग को पूरी तरह से हैरान कर दिया है। यह सरकार का काफी प्रतिगामी कदम है।’’

उन्होंने कहा कि इससे न केवल थोक व्यापारी, खुदरा विक्रेता और आयातक बल्कि किसान और उपभोक्ता भी बुरी तरह प्रभावित होंगे।

कोठारी ने आगे कहा कि भारत को सालाना 2.5 करोड़ टन दाल की जरूरत है। लेकिन इस साल, ‘‘हमें दलहन की कमी का सामना करना पड़ सकता है।’’

उन्होंने कहा कि आमतौर पर एक आयातक 3,000 से 5,000 टन एक किस्म की दाल का आयात करता है, लेकिन हर किस्म की दाल के लिए केवल 100 टन की सीमा लगाने से आपूर्ति नियंत्रित हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रतिबंधों से किसानों और उपभोक्ताओं को फायदे से ज्यादा नुकसान ही होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘ये सीमाएं आपूर्ति को कम करने वाली हैं क्योंकि आयातक एक साथ बड़ी मात्रा में आयात करने की स्थिति में नहीं होंगे।’’

उन्होंने कहा कि चूंकि अगले महीने से त्योहारों का मौसम आ रहा है, इसलिए इस प्रतिबंधात्मक आदेश के कारण आपूर्ति एक बड़ी बाधा बन सकती है।

कोठारी ने कहा कि इसका किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने वाला है क्योंकि त्योहारों की वजह से यह उनके लिए व्यस्तता का सीजन है तथा खरीफ फसलों की बुवाई का समय है।

उन्होंने कहा, 'कीमतें टूटने वाली हैं। चना पहले से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बिक रहा है। अरहर और उड़द एमएसपी पर बिक रही हैं।'

उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार चाहती है कि किसानों को एमएसपी मिले और किसान की आय दोगुनी हो लेकिन इस तरह की नीति से सभी को नुकसान होगा और निश्चित रूप से यह किसी के लिए फायदेमंद नहीं है।

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Web Title: Demand to withdraw the order of stock limit on pulses of IPGA

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