डीजल-पेट्रोल वाहनों के उपयोग पर प्रतिबंध सरकार ने नहीं, बल्कि एनजीटी ने लगाया, मंत्री नितिन गडकरी ने कहा-15 साल पुराने वाहनों के चलने पर बैन नहीं
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 23, 2025 17:01 IST2025-07-23T17:00:35+5:302025-07-23T17:01:27+5:30
सरकार की वाहन कबाड़ नीति (व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी) के तहत 15 साल पुराने वाहनों के चलने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

सांकेतिक फोटो
नई दिल्लीः केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को बताया कि पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों के उपयोग पर प्रतिबंध सरकार ने नहीं, बल्कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा लगाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार की वाहन कबाड़ नीति (व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी) के तहत 15 साल पुराने वाहनों के चलने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
गडकरी ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि एनजीटी के सात अप्रैल, 2015 के आदेश और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों के चलने पर रोक लगाई गई है। उच्चतम न्यायालय ने राज्य परिवहन विभागों को इन आदेशों को लागू करने का निर्देश दिया है।
मंत्री ने कहा कि सरकार ने ‘‘स्वैच्छिक वाहन बेड़ा आधुनिकीकरण कार्यक्रम’’ (वी-वीएमपी) अथवा वाहन स्क्रैपिंग नीति तैयार की है, जिसका उद्देश्य पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाना है। उन्होंने बताया कि दिल्ली-एनसीआर के बाहर के निजी वाहनों की वैधता स्वचालित परीक्षण केंद्रों (एटीएस) द्वारा जारी फिटनेस प्रमाणपत्र पर निर्भर करेगी।
हालांकि, सरकारों के नाम पर पंजीकृत वाहनों के लिए अधिकतम वैधता सीमा 15 वर्ष से अधिक होगी। एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में गडकरी ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर अब तक 13,795 ‘ब्लैक स्पॉट’ यानी दुर्घटना जोखिम वाली जगहों की पहचान की गई है। उन्होंने कहा कि ‘ब्लैक स्पॉट’ की मरम्मत एक निरंतर प्रक्रिया है और तत्काल आधार पर अल्पकालिक सुधार किए जाते हैं।
उन्होंने बताया कि इनमें से 11,866 ‘ब्लैक स्पॉट’ पर अल्पकालिक सुधार कार्य किए गए हैं, जबकि 5,324 स्थानों पर दीर्घकालिक सुधार कार्य संपन्न हो चुका है। एक अन्य सवाल के जवाब में गडकरी ने बताया कि ‘देहरादून-दिल्ली एक्सेस कंट्रोल्ड हाईवे परियोजना’ की अनुमानित लागत 11,868.6 करोड़ रुपये है और इसे अक्टूबर 2025 तक पूरा किए जाने का लक्ष्य है।