ऋण स्थगन एक राजकोषीय नीति मामला : केंद्र सरकार न्यायालय से

By भाषा | Updated: November 19, 2020 21:11 IST2020-11-19T21:11:04+5:302020-11-19T21:11:04+5:30

Debt moratorium a fiscal policy case: central government to court | ऋण स्थगन एक राजकोषीय नीति मामला : केंद्र सरकार न्यायालय से

ऋण स्थगन एक राजकोषीय नीति मामला : केंद्र सरकार न्यायालय से

नयी दिल्ली, 19 नवंबर केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में बृहस्पतिवार को कहा कि कोविड-19 के दौर में ऋण किस्तों के स्थगन का मामला राजकोषीय नीति का मसला है।

सरकार की ओर से कहा गया कि विभिन्न क्षेत्रों का ध्यान रखते हुए उसने सक्रियता से कदम उठाए हैं।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ को वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि यह कोई का ‘कार्रवाई नहीं करने’ का मामला नहीं है । केंद्र की ओर से यह भी कहा गया कि अब इस मामले में आगे कोई अनुग्रह नहीं किया जा सकता, भले ही याचिकाकर्ता इस बारे में और बेहतर विकल्प होने की बात क्यों न कहें।

इस पीठ में न्यायमूर्ति आर. एस. रेड्डी और एम. आर. शाह भी शामिल हैं।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा शीर्ष अदालत से अलग अलग क्षेत्रों के लिए विशेष राहत देने की मांग करने जैसा कोई निदान संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत शायद उपलब्ध नहीं है।

कोविड-19 के दौरान सरकार ने ऋणधारकों को अपनी किस्तें बाद में चुकाने की मोहलत दी थी। शीर्ष अदालत इस मोहलत की अवधि में ऋण किस्तों में वसूले जाने वाले ब्याज पर ब्याज वसूलने से जुड़ी कई याचिकाओं की सुनवाई कर रही है।

शीर्ष अदालत ने बृहस्पतिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मामले की सुनवाई की।

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Web Title: Debt moratorium a fiscal policy case: central government to court

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