नई दिल्ली: मोदी सरकार ने शनिवार को भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफआईडी) को मंजूरी दे दी है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक एलआईसी में ऑटोमेटिक रूट के तहत 20 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति होगी। मोदी सरकार विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए अपनी एफडीआई नीति में बदलाव किया है। इससे देश में 'व्यापार को और बढ़ाएगा मिलेगा और विदेशी निवेश, आय और रोजगार में वृद्धि होगी।
सरकार ने एलआईसी के शेयरों को आईपीओ के माध्यम से सरकार की हिस्सेदारी की आंशिक बिक्री और एलआईसी के लिए नई इक्विटी पूंजी जुटाने के माध्यम से शेयर बाजार में सूचीबद्ध करने की मंजूरी दे दी है। विदेशी निवेशक एलआईसी के आईपीओ में भाग लेने के इच्छुक हो सकते हैं।
एलआईसी के आईपीओ को देखते हुए यह माना जा रहा था कि शनिवार की केंद्रीय मंत्रीमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है। मौजूदा एफडीआई नीति के मुताबिक बीमा क्षेत्र में 74 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति है। हालांकि, यह नियम एलआईसी पर लागू नहीं होता है। इसका प्रबंधन एक अलग कानून एलआईसी अधिनियम के तहत किया जाता है। जो एलआईसी अधिनियम, 1956 के तहत स्थापित एक वैधानिक निगम है।
बाजार नियामक सेबी के नियमों के अनुसार, आईपीओ पेशकश के तहत एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश) और एफडीआई दोनों की अनुमति है। चूंकि एलआईसी अधिनियम में विदेशी निवेश के लिये कोई प्रावधान नहीं है। अत: विदेशी निवेशक भागीदारी के संबंध में प्रस्तावित एलआईसी आईपीओ को सेबी के मानदंडों के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है। इसलिए एलआईसी में एफडीआई को मंजूरी देना जरूरी था।
बता दें कि LIC का आईपीओ दुनिया में किसी बीमा कंपनी का तीसरा सबसे बड़ा आईपीओ है। एसबीआई कैपिटल्स, सिटी ग्रुप, नोमुरा, जेपी मॉर्गन और गोल्डमैन सैक्स समेत पांच अन्य घरेलू व वैश्विक इन्वेस्टमेंट बैंक इस आईपीओ के लिए बुक रनिंग लीड मैनेजर्स हैं। एलआईसी आईपीओ का 5% हिस्सा कर्मचारियों और 10% बीमाधारकों के लिए रिजर्व रखा गया है। एलआईसी आईपीओ का कुल 35 फीसद हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स के लिए है।