न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में एफआईआर के खिलाफ स्कोडा की याचिका पर आदेश सुरक्षित किया

By भाषा | Updated: November 4, 2020 21:50 IST2020-11-04T21:50:30+5:302020-11-04T21:50:30+5:30

Court reserved order on Skoda's petition against the FIR in Uttar Pradesh | न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में एफआईआर के खिलाफ स्कोडा की याचिका पर आदेश सुरक्षित किया

न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में एफआईआर के खिलाफ स्कोडा की याचिका पर आदेश सुरक्षित किया

नयी दिल्ली, चार नवंबर उच्चतम न्यायालय ने स्कोडा फॉक्सवैगन इंडिया की उस याचिका पर अपना फैसला बुधवार को सुरक्षित रख लिया जिसमें कंपनी ने अपने खिलाफ उत्तर प्रदेश में एक ग्राहक की प्राथमिकी (एफआईआर) को चुनौती दी है। ग्राहक ने कंपनी की डीजल कार में उत्सर्जन स्तर छिपाने के लिये ‘धोखाधड़ी वाले उपकरण’ के उपयोग के आरोप में यह प्राथमिकी दर्ज करायी है।

मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायाधीश एस एस बोपन्ना और न्यायाधीश वी रामासुब्रमणियम की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कई कानूनी प्रक्रियाएं हैं जिसके जरिये वाहन कंपनी स्वयं के लिये राहत प्राप्त कर सकती है।

पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्ट्या मामले में जांच जारी रहनी चाहिए।

न्यायालय ने कहा, ‘‘आपराधिक जांच से निपटने को लेकर कई रास्ते हैं...हम जानते हैं कि फॉक्सवैगन वाहन बनाने वाली नामी कंपनी है। हम उसके प्रशंसक हैं...लेकिन आप यहां आये हैं, इस समय यह गलत है।’’

इससे पहले, स्कोडा की तरफ से पेश वरिठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने शीर्ष अदालत से कहा कि फॉक्सवैगन के खिलाफ दिसंबर 2015 में एक शिकायत राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में दर्ज करायी गयी थी। मार्च 2019 में जुर्माना लगाया गया जिस पर न्यायालय ने रोक लगा दी थी।

उन्होंने पीठ से कहा कि उत्तर प्रदेश में प्राथमिकी (एफाईआर) दर्ज करायी गयी है और कंपनी उच्च न्यायालय में अर्जी देकर उसे खारिज किये जाने का आग्रह किया।

सिंघवी ने कहा कि जब मामला एनजीटी और शीर्ष अदालत देख रही है, ऐसे में नया मामला कैसे शुरू किया जा सकता है।

हालांकि शीर्ष अदालत ने कहा कि ये दोनों अलग-अलग मामले हैं।

सिंघवी ने कहा कि ग्राहक ने वाहन 2018 में खरीदा और कंपनी को कोई शिकायत नहीं की।

शीर्ष अदालत स्कोडा की अपील पर सुनवाई कर रही है। याचिका में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गयी है जिसमें एफआईआर को खारिज करने का आदेश देने से इनकार कर दिया गया और अर्जी खारिज कर दी गयी।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि वाहन धोखाधड़ी वाले उपकरण का उपयोग हुआ हो या नहीं, यह जांच का विषय है और अदालत उच्चतम न्यायालय के अंतरिम आदेश के गलत व्याख्या के आधार पर इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने केंद्र को धोखाधड़ी वाले उपकरण के उपयोग के जरिये पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के एवज में 500 करोड़ रुपये का जुर्माना एनजीटी को नहीं देने को लेकर कंपनी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने से मना किया था।

धोखाधड़ी वाला उपकरण डीजल वाहन में एक साफ्टवेयर होता है। इससे कार के प्रदर्शन में बदलाव कर उत्सर्जन परीक्षण में गड़बड़ी की जाती है।

Web Title: Court reserved order on Skoda's petition against the FIR in Uttar Pradesh

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