सस्ते आयातित खाद्य तेल की वजह से बिनौला, सोयाबीन उद्योग संकट में

By भाषा | Updated: November 27, 2021 15:53 IST2021-11-27T15:53:23+5:302021-11-27T15:53:23+5:30

Cottonseed, soybean industry in trouble due to cheap imported edible oil | सस्ते आयातित खाद्य तेल की वजह से बिनौला, सोयाबीन उद्योग संकट में

सस्ते आयातित खाद्य तेल की वजह से बिनौला, सोयाबीन उद्योग संकट में

नयी दिल्ली, 27 नवंबर सस्ते आयातित तेलों के कारण देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में शनिवार को सोयाबीन और बिनौला संयंत्रों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इन संयंत्रों को सस्ते आयात के आगे तेल पेराई महंगी बैठने के कारण घाटे में व्यापार करने पर मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे इन उद्योगों का संकट बढ़ गया है। बाजार में आम गिरावट का रुख होने के बीच बाकी तेल-तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

बाजार सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन प्लांट वालों को सोयाबीन की पेराई करने में प्रति किलो 5-7 रुपये का नुकसान है। यही हाल बिनौला का भी है। सस्ते आयातित तेलों के आगे ये तेल टिक नहीं पा रहे हैं और इन तेलों का कारोबार घाटे का सौदा बन गया है। किसान नीचे भाव में बिनौला और सोयाबीन बेच नहीं रहे क्योंकि उन्होंने पहले ऊंचे भाव पर अपनी उपज बेची थी। इसकी वजह से सोयाबीन तिलहन के दाम में सुधार है। इसी कारण सोयाबीन संयंत्र वालों की मांग के हिसाब से सोयाबीन की उपलब्धता नहीं हो पा रही है।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति के बीच महाराष्ट्र सरकार ने किसानों पर ‘स्टॉक लिमिट’ (स्टॉक रखने की निश्चित सीमा) को लागू करने से मना कर दिया है। महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि देश अपनी खाद्य तेल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगभग 75-80 प्रतिशत आयात पर निर्भर है और आयातित तेलों पर ‘स्टॉक लिमिट’ लागू नहीं होती, तो ऐसे में किसानों पर ही स्टॉक रखने की सीमा लगाना उनके हित में नहीं होगा।

सूत्रों ने कहा कि किसानों की कम बिक्री करने की वजह से महाराष्ट्र के लातूर में सोयाबीन की जो आवक पहले 75 हजार बोरी की थी वह घटकर लगभग 15,000 बोरी की रह गई है। उन्होंने बताया कि सस्ते आयात की वजह से सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट है।

सूत्रों ने बताया कि सरसों के मामले में मिलों द्वारा अपने स्टॉक बाजार में उतारने की वजह से सरसों तेल-तिलहन के भाव में गिरावट आई है। इसी तरह राजस्थान और गुजरात में मूंगफली की आवक बढ़ने की वजह से मूंगफली तेल-तिलहन में गिरावट आई। सस्ते आयात के कारण बिनौला तेल में गिरावट देखने को मिली।

बाकी तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित रहे।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन - 8,920 - 8,950 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली - 5,850 - 5,935 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 12,500 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 1,885 - 2,010 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 17,550 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,715 -2,740 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,795 - 2,905 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 16,700 - 18,200 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,380 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,080 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,850

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,250 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,200 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,750 रुपये।

पामोलिन एक्स- कांडला- 11,600 (बिना जीएसटी के)।

सोयाबीन दाना 6,650 - 6,750, सोयाबीन लूज 6,500 - 6,550 रुपये।

मक्का खल (सरिस्का) 3,825 रुपये।

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Web Title: Cottonseed, soybean industry in trouble due to cheap imported edible oil

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